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उदयपुर में 129 करोड़ की साइबर ठगी का चौथा आरोपी​ गिरफ्तार, वीडियो में देखें

उदयपुर में 129 करोड़ की साइबर ठगी का चौथा आरोपी​ गिरफ्तार, वीडियो में देखें

राजस्थान के उदयपुर जिले में हुए 129 करोड़ 72 लाख रुपये की साइबर ठगी के हाई-प्रोफाइल मामले में हिरण मगरी थाना पुलिस ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने इस केस में खाता उपलब्ध कराने वाले चौथे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जो इस साइबर गिरोह का अहम सहयोगी बताया जा रहा है। थानाधिकारी भरत योगी ने बताया कि आरोपी ने पहले गिरफ्तार किए गए ठग तूफान सिंह को बैंक खाते उपलब्ध कराए थे, जिनका इस्तेमाल करोड़ों की धोखाधड़ी में किया गया।

क्या है मामला?

यह देशभर में सामने आए साइबर अपराध के सबसे बड़े मामलों में से एक माना जा रहा है, जिसमें ठगों ने फर्जी कॉल, लिंक और सोशल इंजीनियरिंग के जरिये कई लोगों से करोड़ों रुपये ठग लिए।

पुलिस जांच में सामने आया कि ठगी के इस नेटवर्क में कई लोग शामिल हैं जो सिर्फ बैंक अकाउंट उपलब्ध कराने का काम करते थे, ताकि ट्रांजेक्शन को ट्रेस करना मुश्किल हो जाए।

अब तक इस मामले में चार आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और पुलिस को शक है कि इस नेटवर्क के तार देश के कई अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं।

आरोपी की भूमिका

पुलिस के अनुसार हाल ही में गिरफ्तार आरोपी ने बड़े कमीशन के बदले तूफान सिंह को कई फर्जी और असली बैंक खाते उपलब्ध कराए, जिनका उपयोग अलग-अलग शिकारों से ठगे गए पैसे को ट्रांसफर करने में किया गया।

यह गिरोह बैंक खाते, फर्जी सिम कार्ड, और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर ठगी की राशि को तुरंत कई खातों में भेजकर पैसे को ट्रैक करना लगभग असंभव बना देता था।

आगे की कार्रवाई

थानाधिकारी भरत योगी ने बताया कि आरोपी से पूछताछ जारी है, और उससे मिले सुरागों के आधार पर अन्य सहयोगियों की तलाश की जा रही है।

पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह आरोपी कई और फर्जी बैंक खातों और लोगों को भी इस नेटवर्क से जोड़ चुका है, जिनका अब तक खुलासा नहीं हुआ है।

साइबर ठगी को लेकर बढ़ती चिंता

यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि साइबर क्राइम का जाल कितनी तेजी से फैल रहा है और किस तरह तकनीकी जानकारी और नेटवर्किंग के बल पर अपराधी सुनियोजित धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खाते और मोबाइल नंबर किराये पर देने या बेचने की यह अंडरग्राउंड गतिविधि अब एक उद्योग का रूप ले चुकी है, जिस पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है।

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