मालपुरा दंगा केस में 25 साल बाद सभी 13 आरोपी बरी, वीडियो में जानें अदालत ने पुलिस जांच पर ही खडे कर दिए सवाल
मालपुरा दंगा मामले से जुड़े एक अहम केस में विशेष सांप्रदायिक दंगा मामलों की अदालत ने सोमवार दोपहर बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने मामले के सभी 13 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। फैसले में अदालत ने पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल खड़े किए और जांच को त्रुटिपूर्ण बताया।
मामला टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में हुए सांप्रदायिक तनाव और दंगे से जुड़ा है। इस केस में पुलिस ने 13 लोगों को आरोपी बनाया था। आरोप था कि इन्होंने दंगे के दौरान हिंसा, आगजनी और शांति भंग करने जैसी वारदातों में हिस्सा लिया था। लेकिन लंबी सुनवाई और सबूतों की जांच के बाद अदालत ने पाया कि आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं।
अदालत की टिप्पणी
फैसले में अदालत ने कहा कि इस मामले में तीन अलग-अलग जांच अधिकारी नियुक्त हुए थे, लेकिन इनमें से किसी ने भी घटना की ठीक से जांच नहीं की। न तो प्रत्यक्षदर्शियों के बयान ठोस तरीके से दर्ज किए गए और न ही घटनास्थल से पुख्ता सबूत इकट्ठा किए गए। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने जिस तरह से जांच की, उससे स्पष्ट होता है कि मामले में तथ्यों की पुष्टि और साक्ष्यों के संरक्षण में गंभीर लापरवाही बरती गई।
संदेह का लाभ
अदालत ने कहा कि आपराधिक मामलों में दोष सिद्ध करने के लिए पुख्ता और निर्विवाद साक्ष्य जरूरी होते हैं। जब तक संदेह से परे अपराध सिद्ध न हो, आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसी आधार पर सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया गया।
पीड़ित पक्ष में निराशा, बचाव पक्ष ने स्वागत किया
फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने निराशा जताई और कहा कि कमजोर जांच के कारण आरोपियों को सजा नहीं मिल पाई। वहीं, बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल निर्दोष थे और उन्हें न्याय मिला है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
इस फैसले ने एक बार फिर पुलिस जांच की गुणवत्ता और निष्पक्षता पर बहस छेड़ दी है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जांच शुरुआत से ही सही तरीके से होती, तो मामले का परिणाम अलग हो सकता था।

