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राजस्थान के टोंक में बीजेपी की गुटबाजी आई सामने, मंत्री अविनाश गहलोत के स्वागत पर समर्थकों में हुई झड़प

राजस्थान के टोंक में बीजेपी की गुटबाजी आई सामने, मंत्री अविनाश गहलोत के स्वागत पर समर्थकों में हुई झड़प

राजस्थान के टोंक जिले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आंतरिक गुटबाजी एक बार फिर सार्वजनिक रूप से सामने आई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मंत्री अविनाश गहलोत के स्वागत के लिए बीजेपी के कई नेता और समर्थक जुटे थे, लेकिन इस मौके पर एक अजीब घटना घट गई। मंत्री के स्वागत के दौरान बीजेपी समर्थक आपस में भिड़ गए, जिससे स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण हो गई। हालांकि, पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए मामले को शांत करा लिया और स्थिति को काबू में कर लिया।

यह घटना बीजेपी के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेदों को उजागर करती है। टोंक में जब मंत्री अविनाश गहलोत का स्वागत किया जा रहा था, तब अचानक समर्थकों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई, जो जल्द ही शारीरिक झड़प में बदल गई। यह विवाद उन दोनों गुटों के बीच था, जो बीजेपी में अपनी राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। दोनों गुटों के समर्थक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे, और स्थिति बेकाबू हो गई।

घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों गुटों को अलग किया और झगड़े को शांत कराया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले में कोई गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन यह घटना बीजेपी के भीतर गहरी आंतरिक गुटबाजी की ओर इशारा करती है।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह घटनाएं दिखाती हैं कि पार्टी में एकजुटता की कमी और नेतृत्व पर विवाद गहरा हो रहा है। टोंक जिले में बीजेपी के भीतर दो प्रमुख गुटों के बीच सत्ता संघर्ष लंबे समय से चल रहा है। इस प्रकार की घटनाएं यह संकेत देती हैं कि पार्टी की अंदरूनी राजनीति और भी जटिल होती जा रही है, खासकर तब जब आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक हों।

बीजेपी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने घटना पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का यह कहना है कि इस तरह की घटनाएं "अस्थायी" हैं और जल्द ही सुलझा ली जाएंगी। इसके बावजूद, यह घटनाएं बीजेपी के लिए एक चिंता का विषय बन सकती हैं, खासकर जब पार्टी अपने राजनीतिक संघर्षों को एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतारने की कोशिश कर रही है।

राजस्थान की राजनीति में इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन यह घटनाएँ पार्टी के लिए एक चेतावनी हो सकती हैं कि गुटबाजी और आंतरिक मतभेदों को सुलझाने की आवश्यकता है। पार्टी नेताओं को इस घटनाक्रम से सीख लेते हुए अपनी रणनीतियों को सुधारने की जरूरत होगी, ताकि चुनावी मुकाबले में पार्टी की स्थिति मजबूत रहे।

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