सिरोही मेडिकल कॉलेज रिश्वत कांड: प्रिंसिपल के लिए संविदा कर्मी करता था वसूली, बोला—‘पैसा ऊपर तक जाता है’
सिरोही मेडिकल कॉलेज में एक बड़ा रिश्वत कांड सामने आया है, जिसमें प्रिंसिपल के लिए संविदा कर्मचारी छात्रों और उनके अभिभावकों से वसूली करता था। आरोपी कर्मचारी ने खुलासा किया कि कॉलेज में ली जाने वाली रिश्वत केवल उसके हाथ तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह ऊपर तक जाती थी।
सूत्रों के अनुसार, यह मामला कॉलेज के प्रशासनिक और शिक्षण विभाग की गहन जांच में उजागर हुआ। संविदा कर्मचारी ने छात्रों से दाखिला, परीक्षा और अन्य सुविधाओं के लिए रिश्वत वसूलने की बात स्वीकार की। उसने यह भी खुलासा किया कि पैसा सीधे प्रिंसिपल तक पहुंचाया जाता था, और इसके बदले छात्रों को सुविधाएं या प्रमाणीकरण दिए जाते थे।
पुलिस और जांच एजेंसियों ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कांड लंबे समय से चल रहा था। आरोपी कर्मचारी के बयान के आधार पर जांच का दायरा बढ़ाया गया है और कॉलेज के अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है। जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि रिश्वत देने वाले छात्र और अभिभावक भी इस प्रक्रिया का हिस्सा थे, हालांकि उन्हें दबाव या डर के कारण ऐसा करना पड़ा।
सिरोही के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि संविदा कर्मचारी ने स्पष्ट रूप से कहा, “पैसा ऊपर तक जाता है।” इससे यह संकेत मिलता है कि यह केवल व्यक्तिगत लाभ का मामला नहीं, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर व्यापक पैमाने पर रिश्वतखोरी का मामला था।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के कांड उच्च शिक्षा संस्थानों की विश्वसनीयता और प्रशासनिक पारदर्शिता पर प्रश्न उठाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसी घटनाओं पर समय रहते कार्रवाई नहीं होती है, तो यह छात्रों और अभिभावकों के विश्वास को कमजोर करती है और शिक्षा व्यवस्था की छवि धूमिल करती है।
केंद्रीय और राज्य स्तर की जांच एजेंसियां मामले की गहनता से जांच कर रही हैं। उनके अनुसार, संविदा कर्मचारी के बयान के आधार पर प्रिंसिपल और अन्य उच्चाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा, संबंधित कॉलेज प्रशासन से रिकॉर्ड और वित्तीय लेनदेन की जांच भी की जा रही है।
स्थानीय लोगों और छात्रों ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसे कांड उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए शर्मनाक हैं। उन्होंने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से अपील की है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने और जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा संस्थानों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। छात्रों और अभिभावकों के विश्वास को बनाए रखना प्रशासन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
सिरोही मेडिकल कॉलेज रिश्वत कांड अब सार्वजनिक जांच और कानूनी कार्रवाई के दायरे में है। संविदा कर्मचारी के बयान ने प्रिंसिपल और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, और आगे की जांच में इस पूरे घोटाले की तह तक पहुंचने की संभावना है।

