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पाटन पंचायत समिति में लादीकाबास को शामिल करने की मांग, 12वीं बार चुनाव का बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना की ग्राम पंचायत लादी का बास के लोगों ने इस बार भी चुनाव बहिष्कार का अपना फैसला बरकरार रखने का फैसला किया है. विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव का भी बहिष्कार किया गया...........
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सीकर न्यूज़ डेस्क !!! राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना की ग्राम पंचायत लादी का बास के लोगों ने इस बार भी चुनाव बहिष्कार का अपना फैसला बरकरार रखने का फैसला किया है. विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव का भी बहिष्कार किया गया. सभी चुनाव और उपचुनाव को मिला दिया जाए तो यह 12वां चुनाव है जिसमें लादी का बास पंचायत के 7 गांव और 18 ढाणियों के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. जनवरी 2020 में पंचायत चुनाव का बहिष्कार शुरू हुआ, जो अब तक जारी है. मामला लादी बास पंचायत को वापस पाटन पंचायत समिति में शामिल करने का है.


वर्ष 2019 में पंचायत राज परिसीमन के दौरान लादी का बास पंचायत को पाटन पंचायत समिति से हटाकर अजीतगढ़ पंचायत समिति में शामिल कर दिया गया, तब से ग्रामीणों की एक ही मांग है कि जब तक लादी का बास पंचायत को पाटन में शामिल नहीं किया जाता है जारी रहेगा ग्रामीणों का आंदोलन हालांकि प्रशासन कई बार ग्रामीणों से बातचीत की कोशिश कर चुका है, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं.
नीमकाथाना जिला कलेक्टर शरद मेहरा भी गांव पहुंचे और ग्रामीणों से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने बैठक का भी बहिष्कार कर दिया.

पिछली सरकार में भी जन प्रतिनिधियों ने अधिकारियों को लिखित रूप से अवगत कराया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. राज्य में नयी सरकार बने चार माह से अधिक हो गये, लेकिन नयी सरकार ने भी समस्या का समाधान नहीं किया. ग्रामीण.

ग्रामीण रुद मल ने बताया कि ग्राम पंचायत लादी का बास को पाटन से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल किया गया है, तब से लेकर आज तक ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं, जब तक शामिल नहीं किया जाएगा तब तक ग्रामीणों का चुनाव बहिष्कार जारी रहेगा।

वहीं, ग्रामीण कैप्टन बनवारी लाल ने कहा कि लाडी का वास अजीतगढ़ पंचायत समिति में शामिल करने से ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अजीतगढ़ की दूरी पाटन पंचायत समिति से काफी दूर है जिससे ग्रामीणों को समय के साथ-साथ संसाधनों की कमी के साथ आर्थिक नुकसान भी होगा।

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