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सीकर-जयपुर बॉर्डर पर दर्दनाक हादसा. पलटे ट्रक के नीचे दबकर दंपती और मासूम बेटी की मौत, लापरवाही पर भड़के लोग

सीकर-जयपुर बॉर्डर पर दर्दनाक हादसा: पलटे ट्रक के नीचे दबकर दंपती और मासूम बेटी की मौत, लापरवाही पर भड़के लोग

राजस्थान के सीकर जिले के अजीतगढ़ और जयपुर जिले के शाहपुरा थाने के बीच देर रात एक दर्दनाक सड़क हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया। मूंगफली के छिलकों से भरा एक ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया, जिसकी चपेट में एक बाइक सवार परिवार आ गया। हादसे में दंपती और उनकी चार वर्षीय मासूम बेटी की मौके पर ही मौत हो गई।

ट्रक पलटते ही दब गई जिंदगियां

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सड़क किनारे से गुजर रहे बाइक सवार परिवार को ट्रक ने पहले टक्कर मारी और फिर वह पलट गया। ट्रक में भरे मूंगफली के छिलकों और चारे जैसे माल के नीचे दंपती और उनकी बच्ची पूरी तरह दब गए। राहगीरों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।

लापरवाही बनी तीन मौतों की वजह

हादसे के कुछ देर बाद मौके पर पुलिस पहुंची। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त ट्रक को तो हटवा दिया, लेकिन उसके नीचे दबे लोगों की तलाश करने की जहमत नहीं उठाई। घंटों तक मासूम बच्ची और उसके माता-पिता वहीं दबे रहे और दम तोड़ दिया।

गुस्साए लोगों ने लगाया जाम

जब आसपास के लोगों को सुबह इस लापरवाही का पता चला, तो गुस्सा फूट पड़ा। स्थानीय लोगों ने स्टेट हाईवे पर जाम लगा दिया और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका आरोप था कि अगर समय रहते दबे हुए लोगों को निकाला जाता, तो शायद तीनों की जान बचाई जा सकती थी।

प्रशासन हरकत में आया

स्थिति को बिगड़ता देख प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया। मौके पर एंबुलेंस बुलाई गई और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया। अधिकारियों ने जांच का आश्वासन दिया और संबंधित पुलिसकर्मियों की भूमिका की समीक्षा करने की बात कही।

सवालों के घेरे में राहत कार्य

इस हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि हादसों के बाद राहत कार्यों में लापरवाही क्यों होती है? क्या सिर्फ ट्रैफिक साफ कर देना ही पुलिस की जिम्मेदारी है? हादसे के शिकार लोगों की जान बचाना प्राथमिकता क्यों नहीं बन पाता?

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