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बाबा श्याम के दरबार में डूब जाता है भक्त का मन, पर्ची और नारियल में लिखते हैं अपनी मनोकामनाएं

बाबा श्याम के दरबार में डूब जाता है भक्त का मन, पर्ची और नारियल में लिखते हैं अपनी मनोकामनाएं

कहते हैं कि जब कोई सच्चा भक्त बाबा श्याम के दरबार में पहुंचता है, तो उसका मन इतना भावविभोर हो जाता है कि वह अपने दुख-दर्द शब्दों में बयां नहीं कर पाता। श्रद्धा और आस्था के इस पावन स्थल पर पहुंचते ही भावुकता से भर उठता है भक्त का हृदय और आंखों से अश्रुधारा बहने लगती है। यही कारण है कि खाटू श्याम मंदिर में कई भक्त अपनी मनोकामनाएं बोलने की बजाय पर्चियों पर लिखकर बाबा को अर्पित करते हैं।

बाबा श्याम के भक्त मंदिर परिसर में एक छोटी सी पर्ची में अपनी इच्छाएं, दुख और अरमान लिखते हैं और उसे नारियल के साथ बांधकर मंदिर के पास बांध देते हैं। यह एक अनोखी परंपरा है, जिसमें शब्द नहीं, भावनाएं बोलती हैं। भक्तों का विश्वास है कि “हे बाबा श्याम! आप तो अंतर्यामी हैं, आप हमारे मन की हर बात बिना कहे जान जाते हैं।”

यह दृश्य मंदिर परिसर में हर दिन देखने को मिलता है, जहां सैकड़ों श्रद्धालु नारियल में पर्ची बांधकर बाबा से अपनी अर्जी लगाते हैं। कोई अपनी नौकरी की कामना करता है, कोई अपने परिवार के सुख-शांति की, कोई संतान सुख के लिए और कोई बीमारी से मुक्ति के लिए बाबा से गुहार लगाता है।

जब भक्त की मनोकामना पूरी होती है, तो वह पुनः बाबा के दरबार में हाजिरी देता है। अपनी श्रद्धा के अनुसार प्रसाद, चढ़ावा या अन्य भेंट अर्पित करता है। कुछ भक्त बाबा के नाम का भंडारा करवाते हैं, तो कुछ नंगे पांव या सिर पर चढ़ावा लेकर मंदिर पहुंचते हैं।

श्रद्धालु मानते हैं कि बाबा श्याम अपने हर भक्त की पुकार सुनते हैं, चाहे वो बोले या न बोले। उनका दरबार न्यायप्रिय और कृपालु है। यहीं कारण है कि देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन को खाटूधाम पहुंचते हैं।

बाबा श्याम के प्रति यह असीम प्रेम और श्रद्धा न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि जब विश्वास अडिग हो, तो शब्दों की जरूरत नहीं होती — केवल भावनाएं ही पर्याप्त होती हैं।

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