11 सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षक आंदोलन पर, वीडियो में देखें सीकर से जयपुर तक पैदल मार्च शुरू

राजस्थान में एक बार फिर शिक्षक वर्ग ने अपने अधिकारों और मांगों को लेकर आंदोलन की राह पकड़ ली है। राजस्थान शिक्षक संघ के बैनर तले प्रदेश भर के तृतीय श्रेणी शिक्षक अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। इस क्रम में 27 मई को सीकर से सैकड़ों शिक्षकों ने जयपुर के लिए पैदल मार्च शुरू किया है, जो कि 2 जून को राजधानी पहुंचकर एक विशाल विरोध-प्रदर्शन और घेराव के रूप में सम्पन्न होगा।
इस पैदल मार्च का उद्देश्य सरकार तक शिक्षकों की लंबे समय से लंबित मांगों को पहुँचाना है। आंदोलन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि वे कई वर्षों से अपनी समस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन से संवाद करते आ रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।
ये हैं शिक्षकों की मुख्य मांगें:
राजस्थान शिक्षक संघ की ओर से जारी 11 सूत्रीय मांगों में शामिल हैं —
-
पुरानी पेंशन योजना की बहाली
-
पदोन्नति की प्रक्रिया में पारदर्शिता
-
स्थानांतरण नीति में स्पष्टता और नियमितता
-
सातवें वेतनमान की विसंगतियों का समाधान
-
शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की शीघ्र भर्ती
-
समान कार्य के लिए समान वेतन
-
शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए
-
स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता
-
महिला शिक्षकों के लिए स्थानांतरण में प्राथमिकता
-
कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों को नियमित करने की नीति
-
विभागीय शोषण और उत्पीड़न पर नियंत्रण
शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ आंदोलन
पैदल मार्च कर रहे शिक्षकों का कहना है कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो यह विरोध और व्यापक रूप ले सकता है। शिक्षक प्रतिनिधियों ने कहा कि वे लोकतांत्रिक ढंग से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और चाहते हैं कि सरकार संवाद की पहल करे।
मार्च में शामिल शिक्षक अपने साथ बैनर, पोस्टर और तख्तियाँ लेकर चल रहे हैं, जिन पर उनकी मांगों से जुड़े नारे लिखे हुए हैं। रास्ते में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय शिक्षक संगठनों और आम नागरिकों द्वारा मार्च का स्वागत किया जा रहा है, जिससे आंदोलन को प्रदेशव्यापी समर्थन भी मिलता दिखाई दे रहा है।
सरकार की प्रतिक्रिया
फिलहाल सरकार की ओर से इस आंदोलन पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार सरकार इस विरोध को लेकर सतर्क है और उच्च अधिकारियों को इस पर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जयपुर पहुंचने से पहले कोई बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।