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अब राजस्थान के 20 हजार शिक्षक वेतन के लिए काट रहे दूसरे स्कूलों व जिलों में चक्कर 

नए और क्रमोन्नत स्कूलों में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के नए पदों की स्वीकृति, पदोन्नति और स्थानांतरण नहीं होने से प्रदेश भर के करीब 20 हजार शिक्षक वेतन के लिए भटकने को मजबूर हैं। वेतन के लिए रिक्तियां नहीं होने के कारण उन्हें दूसरे स्कूलों के अलावा दूसरे जिलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है...........
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सीकर न्यूज़ डेस्क !!! नए और क्रमोन्नत स्कूलों में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के नए पदों की स्वीकृति, पदोन्नति और स्थानांतरण नहीं होने से प्रदेश भर के करीब 20 हजार शिक्षक वेतन के लिए भटकने को मजबूर हैं। वेतन के लिए रिक्तियां नहीं होने के कारण उन्हें दूसरे स्कूलों के अलावा दूसरे जिलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. समस्या यह है कि शिक्षकों को वेतन के लिए हर माह रिक्त पदों की तलाश कर शिक्षा विभाग में आवेदन करना पड़ रहा है. जिससे उनकी अनावश्यक ऊर्जा बर्बाद होती है और इसका असर प्रवेशोत्सव पर भी पड़ रहा है। वहीं शिक्षा विभाग के लिए भी यह वेतन व्यवस्था बड़ा सिरदर्द बन गई है. क्योंकि वेतन व्यवस्था के आदेश नियुक्ति अधिकारी द्वारा रिक्त पद से किये जाने के कारण स्थिति यहां तक ​​खराब हो गयी है कि रिक्त पद नहीं मिलने पर शिक्षा विभाग तृतीय श्रेणी शिक्षकों को भी रिक्त पद से वेतन दे रहा है. पिछली सरकार द्वारा क्रमोन्नत स्कूलों में शिक्षकों की डीपीसी और नए पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं करना इसका मुख्य कारण था। इसके अलावा तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं होने पर भी पद खाली नहीं हो सकेंगे। महात्मा गांधी विद्यालयों में ऊपर से नवनियुक्त शिक्षकों तथा अन्य जिलों से आये शिक्षकों से अधिशेषों की संख्या में वृद्धि हुई। इसलिए पदों की तुलना में शिक्षकों का संतुलन बिगड़ गया।

वेतन के लिए हर माह स्कूल तलाश रहे हैं

सरप्लस शिक्षक अब वेतन व्यवस्था के लिए हर महीने पहली रिक्तियों वाले स्कूलों की तलाश कर रहे हैं। इसके बाद वेतन व्यवस्था के लिए सीबीईओ के माध्यम से नियुक्ति अधिकारी को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ऑर्डर बनने के बाद वे अपनी सर्विस बुक लेकर उस स्कूल में जाते हैं और वेतन पाने की कोशिश करते हैं. यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब वेतन बढ़ाने के बाद कोई अन्य शिक्षक उस पद पर नियुक्ति ले लेता है। क्योंकि फिर सरप्लस शिक्षक को वेतन के लिए दोबारा नए स्कूल की तलाश करनी पड़ती है। सीकर में ज्यादा दिक्कत सरप्लस शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या सीकर जैसे जिलों में है। यहां तृतीय श्रेणी के रिक्त पदों पर 1304 नये शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. महात्मा गांधी स्कूलों में आये 200 नये शिक्षक। ऐसे में जब पदों की संख्या उससे ज्यादा हो तो उनकी वेतन व्यवस्था बिगड़ गई है. सीकर जिले में करीब 500 तृतीय श्रेणी शिक्षकों सहित कुल एक हजार से अधिक शिक्षकों को वेतन के लिए हर माह जुगाड़ जुटाना पड़ता है.

क्रमोन्नत विद्यालयों में पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने, चार सत्रों की डीपीसी बकाया होने से रिक्तियों का संतुलन बिगड़ गया है। इससे हजारों शिक्षकों की वेतन व्यवस्था में प्रशासनिक तंत्र की ऊर्जा अनावश्यक रूप से बर्बाद हो रही है। सरकार को जल्द डीपीसी और तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों के साथ नए पदों की वित्तीय मंजूरी देकर कर व्यवस्था में सुधार करना चाहिए।

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