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Shimla आईजीएमसी में धक्के खाने के लिए गर्भवती महिलाएं मजबूर
 

 बिहार के जमुई जिले के झाझा प्रखंड में नसबंदी के बाद गर्भवती होने का मामला सामने आया है। अब स्वास्थ्य विभाग इसकी जांच कर उचित कारवाई करने की बात कर रहा है। विभाग का कहना है कि इसकी जांच एक कमेटी करेगी।

हिमाचल प्रदेश न्यूज़ डेस्क, प्रदेश के एकमात्र महिला एवं बाल रोग अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को सरकार की लापरवाही के कारण दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि जब से यह अस्पताल खुला है, तब से भाजपा और कांग्रेस की कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन कोई भी सरकार यहां महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं करा पाई। गर्भवती महिलाओं को अभी भी अल्ट्रासाउंड के लिए आईजीएमसी भेजा जाता है।

यहां केवल आपात स्थिति में ही अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं। केएनएच में प्रदेश भर से सैकड़ों महिलाएं अपनी डिलीवरी और इलाज के लिए इस अस्पताल में आती हैं, लेकिन उन्हें अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा नहीं मिल पाती है. चुनावी दौर में तो सरकार एक से बढ़कर एक दावे करती है, लेकिन उसके बाद यहां हालात कुछ और ही नजर आते हैं. एक बार घोषणा हो जाने के बाद सरकार द्वारा चुने गए नेता अस्पताल से नज़र नहीं हटाते. केएनएच में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार के तमाम दावे खोखले नजर आ रहे हैं। हद तो यह है कि कुछ माह पहले जब आईजीएमसी में आरकेएस की बैठक हुई थी तो 56 करोड़ रुपये के बजट में केएनएच अस्पताल की अनदेखी की गई थी। बैठक में केएनएच में गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड सुविधा का भी कोई जिक्र नहीं किया गया। यहां की महिलाएं अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाओं के लिए तरस रही हैं। इसके बावजूद गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.
शिमला न्यूज़ डेस्क!!!

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