
जहां जंगल की निःशब्दता में भी गणेश का नाम गूंजता है, जहां सिंह और संत एक ही भूमि को साझा करते हैं, वहां अब असहज सन्नाटा पसरा है। यह वही भूमि है, जिसे सदियों से शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन अब हालात बदले हैं, और इन जंगलों का नजारा पूरी तरह से बदल चुका है। बीते तीन महीनों में बाघों द्वारा तीन लोगों की जान ली गई है। यह आंकड़ा केवल एक अलार्म नहीं, बल्कि चेतावनी है – वह चेतावनी, जिसे हमने अनसुना कर रखा था।
जंगल और मानव संघर्ष
राजस्थान के वन क्षेत्रों में बाघों और मनुष्यों के बीच संघर्ष की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय बन चुकी हैं। जंगलों में बाघों के हमलों ने लोगों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। बीते कुछ महीनों में इस प्रकार की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या बाघों और मानवों के बीच की खाई बढ़ती जा रही है?
राजस्थान के कुछ प्रमुख वन क्षेत्रों में बाघों के शिकार की घटनाएं पहले से भी सामने आती रही हैं, लेकिन हालिया घटनाओं ने एक गंभीर स्थिति का संकेत दिया है। ये हमले सिर्फ वन क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब बाघों ने मानव-आधारित इलाकों की ओर रुख किया है, जिससे लोगों का जीवन संकट में पड़ गया है।
एक जागरूकता की आवश्यकता
यह घटनाएं इस बात का स्पष्ट संकेत देती हैं कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को हल करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जहां एक ओर बाघों की संख्या बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर जंगलों में इंसान का दखल भी बढ़ा है, जिसके कारण इस संघर्ष का परिणाम घातक हो रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाएं वन्यजीवों के आवासीय क्षेत्रों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण हो रही हैं। जंगलों के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है। बाघों की बढ़ती संख्या और उनके जंगलों से बाहर आने की प्रवृत्ति, इसके संकेत दे रही है कि जंगलों में उनका पारंपरिक आवास घट रहा है और उन्हें भोजन और जगह के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
सरकार की भूमिका
वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को इस बढ़ते खतरे को गंभीरता से लेना चाहिए और इस दिशा में सक्रिय कदम उठाने चाहिए। जंगलों में सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है। इसके साथ ही, बाघों के हमलों से बचने के लिए स्थानीय निवासियों को जागरूक करना जरूरी है।
राजस्थान सरकार को इस पर ध्यान देते हुए बाघों के सुरक्षित पुनर्वास, उनकी आबादी का संतुलन बनाए रखने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए। जंगलों में अधिक से अधिक जैव विविधता बनाए रखने के लिए वन्यजीवों के आवासों की रक्षा की जानी चाहिए।