
रणथंभौर नेशनल पार्क से एक दुखद खबर सामने आई है। पार्क की मशहूर और लोकप्रिय बाघिन टी-84 'ऐरोहेड' का आज सुबह निधन हो गया। उसका शव जोन-2 में पाया गया। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघिन की उम्र करीब 16 वर्ष से अधिक थी और वह पिछले कुछ समय से बोन ट्यूमर (हड्डियों के कैंसर) से पीड़ित थी।
ऐरोहेड केवल एक बाघिन नहीं थी, वह रणथंभौर की 'टाइगर आइकन' के रूप में जानी जाती थी। उसकी खास पहचान और लोकप्रियता का एक बड़ा कारण था उसका वंश — वह रणथंभौर की विश्वप्रसिद्ध बाघिन 'मछली' की नवासी (पोती) थी। मछली को दुनिया की सबसे अधिक फोटो खिंचवाने वाली बाघिन कहा जाता है, और ऐरोहेड ने भी उसी विरासत को आगे बढ़ाया।
बाघिन टी-84 को 'ऐरोहेड' नाम उसके माथे पर बने तीर जैसे निशान के कारण मिला था। वह पर्यटकों की पसंदीदा बाघिनों में से एक थी और अक्सर जोन-2 और आसपास के क्षेत्रों में दिखाई देती थी। वन्यजीव फोटोग्राफरों और पर्यावरणविदों के लिए वह एक स्थायी आकर्षण रही।
वन विभाग की टीम ने बाघिन के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में प्राकृतिक मृत्यु की पुष्टि हुई है, लेकिन अंतिम पुष्टि विस्तृत पशु चिकित्सकीय परीक्षण के बाद ही की जाएगी।
रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर और अन्य अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और पूरे इलाके को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। वन्यजीव प्रेमियों, फोटोग्राफरों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में बाघिन के निधन को लेकर गहरा शोक है।
ऐरोहेड के निधन से न केवल रणथंभौर बल्कि देशभर के वन्यजीव संरक्षण प्रेमियों को बड़ा झटका लगा है। वह न केवल एक जंगल की रानी थी, बल्कि एक विरासत की प्रतीक भी थी। रणथंभौर अब एक और दिग्गज बाघिन की यादों के साथ आगे बढ़ेगा।