रणथंभौर के मशहूर त्रिनेत्र गणेश मंदिर में दर्शन को श्रद्धालुओं के लिए शुरू हुआ प्रवेश, वीडियो में जानें अब टाइगर वापस लौट गया जंगल
राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले रणथंभौर दुर्ग में बीते कुछ दिनों से बाघ (टाइगर) की लगातार मूवमेंट देखी जा रही थी। इसी के चलते वन विभाग और प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर गत बुधवार को श्रद्धालुओं को त्रिनेत्र गणेश मंदिर तक जाने से अस्थायी रूप से रोक दिया था। हालांकि, अब टाइगर की गतिविधि में शांति आने के बाद शुक्रवार को श्रद्धालुओं की आवाजाही को फिर से अनुमति दे दी गई है। यह निर्णय वन विभाग द्वारा टाइगर मूवमेंट की स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद लिया गया।
लगातार बनी हुई थी बाघ की उपस्थिति
सूत्रों के अनुसार, रणथंभौर किले के आसपास पिछले एक महीने से टाइगर की नियमित गतिविधि दर्ज की जा रही थी। पिछले माह के अंतिम सप्ताह में भी टाइगर को किले के पास घूमते हुए देखा गया था। इसी क्रम में बुधवार को बाघ के मूवमेंट को लेकर खतरे की आशंका को देखते हुए त्रिनेत्र गणेश मंदिर के रास्ते को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि बाघ की गतिविधि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए संभावित खतरा बन सकती थी, इसलिए एहतियातन यह कदम उठाया गया।
टाइगर मूवमेंट शांत होने के बाद फिर शुरू हुआ प्रवेश
वन विभाग और रणथंभौर टाइगर रिजर्व प्रशासन की निगरानी टीमों ने गुरुवार शाम तक सीसीटीवी फुटेज, पगमार्क और मूवमेंट रिपोर्ट का विश्लेषण किया, जिसके बाद यह पाया गया कि अब बाघ वहां से दूसरे क्षेत्र की ओर निकल चुका है और श्रद्धालुओं के लिए खतरे की कोई आशंका नहीं है।
इसके बाद शुक्रवार सुबह से श्रद्धालुओं को फिर से त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने की अनुमति दे दी गई। मंदिर में अब सामान्य दिनों की तरह पूजा-अर्चना और दर्शन की प्रक्रिया जारी है।
श्रद्धालुओं को दी गई हिदायत
हालांकि, वन विभाग ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे जंगल क्षेत्र में सावधानीपूर्वक चलें, तय मार्गों से ही जाएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन रक्षकों को दें। साथ ही प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए हैं ताकि कोई अनहोनी न हो।
रणथंभौर: बाघों और श्रद्धा का संगम
रणथंभौर दुर्ग एक ओर जहां राजस्थान की वीरता और स्थापत्य कला का प्रतीक है, वहीं यहां स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। लेकिन यह इलाका रणथंभौर टाइगर रिजर्व के भीतर आता है, जहां बाघों की सक्रियता हमेशा बनी रहती है। ऐसे में वन्यजीवों की सुरक्षा और श्रद्धालुओं की आस्था के बीच संतुलन बनाए रखना प्रशासन के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।

