राजस्थान और मध्यप्रदेश मिलकर तैयार कर रहे विशेष चीतों का कॉरिडोर, प्रदेश में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म में आएगा बड़ा बूम
प्रदेश में जल्द ही चीतों की दहाड़ सुनाई दे सकती है। राजस्थान और मध्यप्रदेश की सरकारें तथा वन विभाग मिलकर चीतों के संरक्षण और उनकी आबादी बढ़ाने के लिए एक विशेष कॉरिडोर तैयार करने जा रहे हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत दोनों राज्यों के वन क्षेत्र को जोड़कर लगभग 17 हजार वर्ग किलोमीटर का विशाल क्षेत्र चिह्नित किया गया है।
वन विभाग के अनुसार, इस विशेष कॉरिडोर में राजस्थान का हिस्सा लगभग 6,500 वर्ग किलोमीटर होगा, जो कुल लैण्डस्कैप का लगभग 37 प्रतिशत है। वहीं, मध्यप्रदेश का हिस्सा 10,500 वर्ग किलोमीटर होगा, जो 61 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र को कवर करता है। इस कॉरिडोर का उद्देश्य चीतों के लिए एक सुरक्षित और प्राकृतिक आवास सुनिश्चित करना है, जिससे उनकी जनसंख्या में स्थायी वृद्धि हो सके।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चीतों की संख्या सीमित और असुरक्षित क्षेत्रों में बंटी हुई है। विभिन्न क्षेत्रों में छोटे और अलग-अलग निवास स्थान होने के कारण चीतों की प्राकृतिक प्रवास क्षमता बाधित होती है। इस नए कॉरिडोर के माध्यम से चीतों को आपस में जोड़ने और उनके लिए अधिक बड़े और सुरक्षित आवास बनाने में मदद मिलेगी।
वन विभाग ने बताया कि कॉरिडोर के निर्माण में दोनों राज्यों के जंगलों, अभयारण्यों और रिज़र्व क्षेत्रों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत नए मार्ग, सुरक्षा उपाय और प्राकृतिक आवास के संरक्षण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा। इस पहल से चीतों के शिकारी दबाव को कम करने और उनके रहने की स्थिति में सुधार लाने की संभावना है।
राजस्थान और मध्यप्रदेश की सरकारों ने इस परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा है। परियोजना के तहत स्थानीय लोगों को भी शामिल करने और जंगलों के टिकाऊ प्रबंधन की दिशा में कदम उठाने की योजना बनाई गई है।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि परियोजना के पहले चरण में भूमि का सर्वेक्षण और सुरक्षित मार्गों का निर्माण किया जाएगा। इसके बाद चीतों के लिए आवास और जल स्रोतों की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर काम होगा। दोनों राज्यों के लिए यह परियोजना वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
इस तरह, राजस्थान और मध्यप्रदेश मिलकर चीतों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहे हैं, जिससे न केवल चीतों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी और जैव विविधता को भी मजबूती मिलेगी।

