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Rohtas बिहार के कई दिग्गजों का संसद जाने का सपना रह गया अधूरा

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बिहार न्यूज़ डेस्क बिहार में कई ऐसे राजनीतिक दिग्गज हुए, जिनका लोकसभा जाने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाया. प्रदेश की राजनीति में भले ही इनका कद काफी बड़ा रहा हो, लेकिन लोकसभा जाने का इनका योग कभी नहीं बन पाया. इस फेहरिस्त में कई नाम हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, राबड़ी देवी के अलावा सदानंद सिंह, विजय शंकर दूबे, अब्दुल बारी सिद्दिकी, मीसा भारती, हेना शहाब, प्रकाश झा, शेखर सुमन, कन्हैया, नीलम देवी का लोकसभा जाने का ख्वाब अब तक अधूरा ही है.. यही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी जैसे मौजूदा राजनीति के दिग्गज नेताओं को भी अबतक सफलता नहीं मिल पायी है. मीसा भारती और मांझी इसबार चुनाव मैदान में हैं और जीते तो उनका ख्वाब हकीकत बन सकता है.

डॉ. जगन्नाथ मिश्र तीन-तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन लोस जाने का उनका सपना पूरा नहीं हो पाया. हालांकि वे दो बार राज्यसभा गए और केन्द्र में मंत्री भी बने. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी बिहार की सत्ता तो संभाली, लेकिन लोकसभा में जाने का ख्वाब पूरा नहीं कर सकीं. उनके पति लालू प्रसाद ने 20 में उन्हें सारण लोकसभा क्षेत्र से उतारा. लेकिन वे वहां चुनाव हार गयी. लालू प्रसाद व राबड़ी देवी की पुत्री मीसा भारती भी पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से लगातार प्रयास कर रही हैं. उन्हें लालू प्रसाद के करीबी रहे रामकृपाल यादव के हाथों पिछले दो चुनाव में हार झेलनी पड़ी है.

शहाबुद्दीन 4 बार रहे सांसद पर पत्नी को नहीं मिली सफलता

सीवान में कभी शहाबुद्दीन की तूती बोलती थी. उनके विरोधियों के लिए सीवान में कोई राजनीतिक जमीन नहीं थी. वे वर्ष 1996 से 2004 के बीच लगातार चार बार सांसद बने. 1996, 1998, 1999 व 2004 के लोकसभा चुनाव में वे सीवान से जीतते रहे. लेकिन उनकी अयोग्यता के बाद राजद ने उनकी पत्नी हेना शहाब को सीवान से मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इनके इस बार भी निर्दलीय मैदान में उतरने की चर्चा है. इसी तरह कांग्रेस के बड़े नेता व विधानसभा का अध्यक्ष रहे सदानंद सिंह भी लोकसभा नहीं पहुंच सके. राजद के बड़े नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी को भी सफलता नहीं मिली. मधुबनी या दरभंगा से सांसद बनने की उनकी चाह मन में ही रह गयी.

देश की राजनीति में भूचाल मचाने वाले जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार, बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के अलावा सिनेमा जगत के बड़े नाम प्रकाश झा, शेखर सुमन व भोजपुरी फिल्म के सुपर स्टार कुणाल को भी बिहार में यह सफलता नहीं मिली. इन्होंने लोकसभा जाने के कई अवसर तलाशे, पर इनकी प्रतीक्षा अधूरी ही रह गयी. प्रकाश झा 2004 में निर्दलीय जबकि 2009 में लोजपा से और 20 में जदयू से मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें हर बार हार झेलनी पड़ी. इसके बाद उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया.

 

रोहतास न्यूज़ डेस्क

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