बिहार न्यूज़ डेस्क पीरपैंती में बनने वाले बिजली घर की संभावनाओं को तलाशने का काम शुरू हो गया है. बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लि. ने एक एजेंसी को पीरपैंती बिजली घर की प्री-फिजिबिलिटी (संभाव्यता) रिपोर्ट बनाने का जिम्मा दिया है. चयनित एजेंसी मेसर्स डेजिन प्राइवेट लिमिटेड को कंपनी ने बीते 21 सितम्बर को ही रिपोर्ट बनाने की जिम्मेवारी दे दी.
एजेंसी से 25 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है ताकि बिजली घर निर्माण की दिशा में कार्रवाई शुरू की जा सके. कंपनी के अधिकारियों के अनुसार बिजली घर बनाने से पहले उसकी तकनीकी संभाव्यता पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बिहार को निर्देश दिया था. उसी आलोक में कंपनी ने एजेंसी को बिजली घर की संभावनाओं का पता लगाने का जिम्मा दिया है. प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि वहां 24 सौ मेगावाट की इकाई लगाई जा सकती है या नहीं. रिपोर्ट आने के बाद डीपीआर बनाने की कार्रवाई शुरू होगी. पीरपैंती में एक हजार एकड़ से अधिक जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है. एक दशक पहले पीरपैंती में कोयला आधारित बिजली घर ही बनना था.
लेकिन गैर परम्परागत ऊर्जा की अनिवार्यता देखते हुए सरकार ने सोलर बिजली घर बनाने की दिशा में कार्रवाई शुरू की. जांच के बाद यह उभरकर आया कि पीरपैंती में तकनीकी तौर पर सोलर परियोजना की संभावना क्षीण है. इसे देखते हुए ही अब फिर से पीरपैंती में कोयला आधारित बिजली घर बनाने की कार्रवाई शुरू की गई है.
केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में पीरपैंती के लिए 21 हजार 400 करोड़ का आवंटन कर दिया है. इसके मद्देनजर ही पीरपैंती में 800 मेगावाट की तीन इकाई यानी 2400 मेगावाट की क्षमता वाला बिजली घर बनाने का निर्णय लिया गया है. बिजली घर बनाने को लेकर बीते दिनों केंद्र सरकार के साथ बैठक भी हुई थी. नौ सितम्बर को केंद्रीय ऊर्जा सचिव के साथ हुई बैठक में कोयला मंत्रालय और एनटीपीसी, सीईए, कोल इंडिया लि. और जेनरेशन कंपनी के अधिकारी शामिल हुए. राज्य सरकार की मंशा थी कि बिजली घर बनाने का जिम्मा एनटीपीसी को दिया जाए, लेकिन दिल्ली में हुई उस बैठक में एनटीपीसी ने पीरपैंती में बिजली घर बनाने के मसले पर अनिच्छा प्रकट कर दी. इसलिए कंपनी ने अपने स्तर से बिजली घर बनाने की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है. ऊर्जा विभाग ने कोयला मंत्रालय से वर्ष 2029 से अगले 30 वर्षोँ के लिए 12 मिलियन टन कोयले की मांग प्रतिवर्ष के लिए की है. साथ ही पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरणीय स्वीकृति भी देने का अनुरोध किया है. इसके बाद ही टेंडर किया जा सकेगा.
रोहतास न्यूज़ डेस्क