बिहार न्यूज़ डेस्क र्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि हिंदी भारत की अस्मिता है. यही संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांध सकती है. इसलिए यह संपूर्ण भारत वर्ष में अनिवार्य किया जाना चाहिए. संपर्क भाषा के रूप में इसे राष्ट्रभाषा का स्थान दिया जाना चाहिए.
वे बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी पखवारा एवं पुस्तक चौदस मेला का समापन के मौके पर बोल रहे थे. इस मौके पर हिन्दी शीघ्र ही ‘भारत की राष्ट्र-भाषा’ बनायी जाए इस मांग तथा इसके लिए अनिश्चितकालीन संघर्ष जारी रखने के संकल्प लिया गया. पूर्व राज्यपाल ने पखवारा के अंतर्गत छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित हुई विविध प्रतियोगिताओं में सफल 22 विद्यार्थियों को पुरस्कार-राशि, पदक और प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत किया. समारोह के मुख्य अतिथि और राज्य उपभोक्ता आयोग, बिहार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि पूर्व में हिन्दी उत्तर भारत की भाषा मानी जाती थी, किंतु आज यह पूरे भारत वर्ष की भाषा बन गयी है. इस दौरान डॉ. अनिल सुलभ, डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. मधु वर्मा, प्रो. जंग बहादुर पाण्डेय अन्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया.
समारोह में इन्हें किया गया पुरस्कृत : श्रुतिलेख-प्रतियोगिता : रजनी कुमारी (प्रथम), आदित्य राज (द्वितीय), प्रीति प्रिया (तृतीय) , व्याख्यान -प्रतियोगिता : गणपत हिमांशु (प्रथम), सत्य प्रकाश (द्वितीय), दिव्या भारती (तृतीय) , निबन्ध-लेखन-प्रतियोगिता : सुमन कुमारी (प्रथम), वैष्णवी कुमारी (द्वितीय), अनुराग कुमार (तृतीय), काव्य-पाठ-प्रतियोगिता : सत्य प्रकाश ध्रुव (प्रथम), ऐशिका (द्वितीय), शौर्य आनन्द (तृतीय) , कथा-लेखन-प्रतियोगिता : आरती वर्मा (प्रथम), आयुषी कुमारी (द्वितीय), प्रियांशु कुमार (तृतीय).
रोहतास न्यूज़ डेस्क