
उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क, राज्य में अटल उत्कृष्ट स्कूलों के संचालन पर अंतिम निर्णय कैबिनेट लेगी. शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने अटल उत्कृष्ट स्कूलो को सीबीएसई से हटाकर पुन उत्तराखंड बोर्ड में लाने और शिक्षकों की तैनाती का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने का निर्णय किया है.
शाम शिक्षा मंत्री ने यमुना कालोनी स्थित कैंप कार्यालय में विभागीय अधिकारियों के साथ अटल स्कूलों पर गहन मंथन किया.
डा. रावत ने बताया कि अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के बोर्ड परीक्षा परिणाम, परीक्षा शुल्क, पाठ्यक्रम का माध्यम, शिक्षकों की तैनाती तथा अन्य बिन्दुओं को लेकर विभागीय अधिकारियों, शिक्षक संगठनों व अभिभावकों की ओर से कई प्रकार के सुझाव आए हैं. इसे देखते हुए विभाग ने इन स्कूलों के संचालन को लेकर निर्णय राज्य कैबिनेट के ऊपर छोड़ दिया है. पूर्व में उक्त विद्यालयों की स्थापना का निर्णय भी राज्य कैबिनेट के द्वारा ही लिया गया था.
भाजपा की ही पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र रावत सरकार में एक ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में 189 स्कूलों को अटल स्कूल के रूप में विकसित किया गया था. लेकिन शिक्षा विभाग खुद ही इन स्कूलों को पूरे संसाधन और शिक्षक तक उपलब्ध नहीं करा पाया. इन स्कूलों में प्रवक्ता के 280, गढ़वाल में एलटी के 97 और कुमाऊं में एलटी के 43 पर रिक्त हैं. बैठक में सचिव रविनाथ रमन, अपर सचिव रंजना राजगुरू, योगेन्द्र यादव, एमएम सेमवाल, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल आदि मौजूद रहे.
पूर्व मंत्री पांडे का ड्रीम प्रोजेक्ट रहे अटल स्कूल
अटल स्कूल पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का ड्रीम प्रोजेक्ट रहे हैं. राज्य में पहाड़ों से पलायन की एक वजह गुणवत्तापरक शिक्षा का अभाव भी है. सीबीएसई के प्रति आकर्षण भी अभिभावकों को पलायन करने को मजबूर करता है. पांडे ने आम परिवारों की पीड़ा को महसूस करते हुए अटल स्कूलों का प्रयोग शुरू किया था. इसका तत्काल असर भी दिखा. अटल स्कूलों के नाम पर विकसित किए गए स्कूलों में छात्र संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई. इसके बाद पांडे ने 135 और स्कूलों को भी चिह्नित किया था. अटल उत्कृष्ट स्कूल के एक प्रधानाचार्य ने बताया कि अटल स्कूलों के लिए अंग्रेजी में पारंगत शिक्षकों का चयन किया जाना था. चयन परीक्षा के तहत शिक्षक चुने भी गए. इस वक्त 400 से ज्यादा पद रिक्त हैं.
ऋषिकेश न्यूज़ डेस्क !!!