
उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क, कांग्रेस विधायकों के निलंबन के अपने आदेश पर पुनर्विचार करने के सत्ता पक्ष और कांग्रेस के अनुरोध को विस अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने ठुकरा दिया.
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक मुन्ना सिंह चौहान के तर्कों और सुझावों को सुनने के बाद खंडूडी ने उन्हें खारिज कर दिया. प्रीतम द्वारा उठाए गए व्यवस्था के प्रश्न को अस्वीकार कर उन्होंने दो टूक कहा कि विधायकों के निलंबन का पीठ का फैसला उचित था. प्रश्नकाल के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम ने कहा कि बीते रोज कांग्रेस विधायकों का निलंबन विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के विपरीत था. नियमानुसार विस अध्यक्ष को हंगामे करने वाले सदस्य को इंगित करना था. उसके बाद संसदीय कार्यमंत्री या कोई अन्य मंत्री उस सदस्य के निलंबन का प्रस्ताव लाते. फिर सदन की अनुमति से निलंबन किया जाता.इसी प्रकार दूसीरे नियम के तहत जिस सदस्य का आचरण अनुकूल नहीं होगा, उसे विस अध्यक्ष बाहर जाने को कहेंगी. वो चले जाएंगे और बाकी समय के लिए अनुपस्थित रहेंगे. पर ऐसा भी नहीं हुआ. सभी को निलंबित कर दिया गया. नेता प्रतिपक्ष यशपाल ने भी प्रीतम का समर्थन किया. उन्होंने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देकर कहा कि बीति ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले. भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने भी विपक्ष की बात का समर्थन करते हुए कहा कि यह विषय केवल विपक्ष से नहीं बल्कि सभी विधायकों से जुड़ा है. इस विषय पर पीठ का विनिश्चय आ चुका है. इसलिए इस पर उदारतापूर्वक निर्णय लिए जाने की जरूरत है. विस अध्यक्ष से पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पीठ की गरिमा भी बने रहेगी और सदस्य भी भविष्य में इसका ध्यान रखेंगे. ससंदीय कार्यमंत्री ने कहा कि बीते रोज का घटनाक्रम भावावेश में हुआ घटनाक्रम था. खंडूडी ने द्ढतापूर्वक कहा कि उनका फैसला बिलकुल सही था. निलंबित किए गए सदस्य विस सचिव की टेबल पर चढ़ गए थे. कागज के गोले, किताबें पीठ की और फैंकी गई. उन्होंने कहा कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष द्वारा लाया गया व्यवस्था का प्रश्न ग्राह्य योग्य नहीं है.
ऋषिकेश न्यूज़ डेस्क !!!