
झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, झारखंड के 14500 वकीलों की प्रैक्टिस पर खतरा मंडरा रहा है. इन वकीलों ने यदि अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन छह माह के अंदर नहीं कराया, तो लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे. इसके बाद वे वकालत नहीं कर पाएंगे. इतना ही नहीं बार काउंसिल के मतदाता सूची में भी उनका नाम नहीं रहेगा, जिस कारण वे मतदान भी नहीं कर पाएंगे.
झारखंड में करीब 35000 वकील हैं. सत्यापन के लिए 16500 वकीलों ने ़फॉर्म लिए हैं. इनमें दस हजार का सत्यापन हो गया है. जबकि 6500 वकीलों ने सत्यापन फॉर्म लेने के बाद अपने दस्तावेज झारखंड बार कौंसिल को नहीं दिए हैं. जबकि 8000 वकीलों ने सत्यापन का फॉर्म तक नहीं लिया है. करीब 42 प्रतिशत वकीलों ने सत्यापन नहीं कराया है. जबकि 200 वकीलों ने विभिन्न कारणों से अपने लाइसेंस निलंबित कराए हैं. झारखंड बार कौंसिल का चुनाव छह माह बाद होना है. कौंसिल ने एक बार फिर सभी बार संघों को सभी वकीलों का सत्यापन कराने को कहा है. सभी को चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के पहले निबंधन कराना अनिवार्य कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रमाणपत्रों के सत्यापन को किया है अनिवार्य सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल के वेरिफिकेशन रूल्स 2015 के तहत सभी बार कौंसिल को वकीलों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन को अनिवार्य बताया है. इसे लागू करने का बार कौंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है. सभी वकीलों को अपने प्रमाणपत्रों के साथ एक फॉर्म भर कर देना होता है. फिर बार कौंसिल संबंधित विश्वविद्यालय और संस्थानों में प्रमाणपत्रों की जांच के लिए भेजती है. सत्यापन के बाद वकील को कौंसिल के सभी कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट मिलती है. साथ ही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ और कौंसिल के चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिलती है.
नियमित प्रैक्टिस करने का भी देना होगा प्रमाणपत्र
झारखंड के वकीलों को अपने नियमित प्रैक्टिस का भी प्रमाणपत्र देना होगा. वकीलों को अपने जिला बार रांधों से नियमित प्रैक्टिस के प्रमाणपत्र के साथ कोर्ट के कुछ आदेश भी जमा करने होंगे, जिसमें उनके बहस करने का उल्लेख किया गया हो. जिस कोर्ट में वकील प्रैक्टिस कर रहे हैं वहां बहस करने वाले मामलों का वकालतनामा और साल में तीन कोर्ट के आदेश की प्रति भी संलग्न करनी पड़ती है.
प्रमाणपत्र गुम और फट जाने की दे रहे दलील
राज्य के कुछ वकील इस नियम का विरोध कर रहे है. वकीलों का कहना है कि वे 40 साल से प्रेक्टिस कर रहे है. उनका प्रमाणपत्र अब फट गया है. कुछ वकीलों का कहना है कि प्रमाणपत्र गुम हो गया है. इतने साल प्रैक्टिस करने के बाद फिर से प्रमाणपत्र की जांच कराने का निर्णय उचित नहीं है. जिनके पास प्रमाणपत्र नहीं है, उनके लिए संबंधित बार कौंसिल से नियमित प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र ही मान्य होना चाहिए.
राँची न्यूज़ डेस्क !!!