
झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, कोल्हान के जलाशयों और डैमों के निर्माण के बाद उनमें भारी मात्रा में सिल्ट और गाद जमा हो गए हैं, जिससे जलाशयों की भंडारण क्षमता कम हो गई है. सिंचाई और पेयजल व्यवस्था प्रभावित हुई है. इससे उनकी सुरक्षा, सुविधाओं को लेकर चिंताएं भी पैदा होने लगी हैं.
बाढ़ प्रबंधन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में जलाशयों से गाद की निकासी व्यवस्था अब जरूरी है. इसके साथ ही बांध की सुरक्षा और बाढ़ मैनेजमेंट भी आवश्यक है. योजनाबद्ध तरीके से गाद निकासी और बांधों की सुरक्षा संबंधी कार्य संभव हो सकेंगे. कोल्हान में चांडिल डैम, सीतारामपुर डैम, किरूबुरू सहित अन्य डैमों से भी गाद निकालने की कोशिश की जाएगी, जिससे इनके भंडारण क्षमता सामान्य रहे. बड़े जलाशयों में डेढ़ से दो मीटर तक गाद भरे जाने की आशंका जताई गई है.
जल संसाधन विभाग के मुताबिक जलाशयों, डैमों से गाद निकासी के लिए झारखंड जलाशय डिसिल्टेशन पॉलिसी 2023 का प्रारूप तैयार किया गया है. इसके जरिये सिल्ट निकाले जाने के अलावा बांध एवं पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए एक स्ववित्तपोषित राजस्व सृजन आधारित सिल्ट प्रबंधन प्रणाली के लिए जलाशय डिसिल्टेशन पॉलिसी प्रस्तावित है. इसका प्रारूप तैयार कर लिया गया है.
कोई भी दे सकते हैं सुझाव
इंजीनियर से लेकर आम लोग भी जलाशयों की भंडारण क्षमता बढ़ाने पर अपने सुझाव विभाग की वेबसाइट पर दे सकते हैं. विभाग इस पर विचार करेगा. देश-विदेश में रहने वाले प्रबुद्धजनों से आग्रह किया गया है कि वे वेबसाइट अथवा ई-मेल के जरिये विभाग को सचेत कर सकते हैं.
जलाशयों से गाद निकालने की तैयारी की जा रही है. आम लोगों के सुझाव का इंतजार किया जा रहा हैं, ताकि वास्तविक समस्याओं की जानकारी मिल सके.
-नागेश मिश्रा, इंजीनियर प्रमुख, जल संसाधन विभाग
राँची न्यूज़ डेस्क !!!