झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष व हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) को पुलिस थानों में कानूनी मदद के लिए ध्यान केंद्रित करना चाहिए। डालसा के विधिक सलाहाकार व पैनल वकीलों के संपर्क नंबर सभी थानों में अंकित किए जाने चाहिए। उन्होंने हर पखवाड़े विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदियां को कानूनी मदद के लिए विशेष अभियान चलाने को भी कहा। वह रविवार को न्याय सदन में सभी जिलों के डालसा अध्यक्षों व सचिवों के प्रशिक्षण के समापन समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन के तौर पर राज्य के कारा महानिरीक्षक मनोज प्रसाद, कॉमर्शियल टैक्सेज ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष नलिन कुमार, विधि सचिव, सेवानिवृत प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसएस प्रसाद, एवं फैजान अहमद एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।
जस्टिस प्रसाद बोले, डालसा को उन दोषियों को कानूनी मदद देनी चाहिए जो समय से पहले रिहाई के हकदार हैं। दोषियों के परिवार को सरकार की लाभकारी योजनाओं से जोड़ना भी डालसा का जिम्मा है। आउटरीच अभियानों में पारा लीगल वॉलंटियर की सेवा का भी उचित उपयोग होना चाहिए। उन्हें लोक अदालत, राष्ट्रीय लोक अदालत, मध्यस्थता अभियान में शामिल किया जाना चाहिए। कानूनी सशक्तिकरण शिविर को नालसा विधिक सेवा शिविर मॉड्यूल के अनुसार आयोजित करने और आदिम जनजातियों और हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान पर विशेष जोर दिया जाने पर बल दिया। सड़क दुर्घटनाओं, प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं, जादू टोना की दिन-प्रतिदिन की घटनाओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत बतायी। प्रशिक्षण कार्यक्रम को जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव और जस्टिस अरुण कुमार राय ने भी संबोधित किया।
झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एसएन प्रसाद ने कहा कि लोक अदालत में मामलों के निष्पादन में वकीलों की अहम भूमिका होती है। नौ मार्च को राज्य में राष्ट्रीय लोग अदालत लगनी है। वकीलों की मदद व झालसा-डालसा के प्रयास से इस बार अधिकाधिक मामले निपटने की योजना है। डालसा के सचिवों के राज्यस्तरीय समागम में जस्टिस एसएन प्रसाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि झालसा अपने योजना के माध्यम से समाज के कमजोर तबके और आदिम जनजातियों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाएगा। इसके लिए तैयारी चल रही है। राज्य में मानव तस्करी को रोकने के लिए रेलवे स्टेशन पर पीएलवी तैनात किए गए हैं ताकि अगर कोई नाबालिग अपने अभिभावक के अलावा किसी दूसरे के साथ नजर आता है, तो उन्हें तत्काल रोक लिया जाए। पीएलवी स्थानीय होने के नाते मानव तस्करों को पहचाने हैं। राज्य में गरीबी होने के कारण लोग अपने बच्चों को कमाने के लिए दिल्ली सहित अन्य जगहों पर भेज देते हैं।
इसलिए सुदूर गांव के सभी को जनवितरण प्रणाली से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें डीएलएसए और पीएलवी मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार नाबालिग के साथ यौन शोषण की घटना होने के बाद भी अभिभावक समाजिक दबाव के कारण उसकी रिपोर्ट नहीं करते हैं। पीएलवी इस पर अभी नजर रखें और इस तरह के मामलों को समाने लाए, ताकि दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कि राज्य के बुजुर्ग को भी मदद करने के लिए झालसा और डीएलएसए की ओर से प्रयास किया जा रहा है। अगर किसी बुजुर्ग को उनके बच्चे अपने घर में नहीं रखते और पालन नहीं करते हैं। अगर बुजुर्ग डीएलएसए या झालसा में पत्र लिखते हैं तो उन्हें उनका अधिकार दिलाया जाएगा। वात्सल्य प्रोजेक्ट के तहत यौन शोषण की शिकार महिला को कानून सहायता प्रदान की जा रही है. रांची न्यूज़ डेस्क!!!