
झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, झारखंड विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) की ओर से गठित विद्युत सलाहकार समिति की हुई बैठक में उपभोक्ताओं ने बिजली कटौती की समस्या को प्रमुखता से रखा. आयोग की ओर से कहा गया कि उपभोक्ता बिजली कटौती पर मुआवजा के हकदार हैं. बिजली वितरण कंपनी अगर बगैर पूर्व सूचना के बिजली काटती है तो उपभोक्ताओं को मुआवजा देना होगा. बीते साल दिसंबर में गठित 19 सदस्यीय छठी सलाहकार समिति की पहली बैठक की अध्यता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता ने की.
इस दौरान सदस्य अतुल कुमार व महेंद्र प्रसाद भी मौजूद रहे. जेबीवीएनएल की ओर से निदेशक केके वर्मा, ऋषि नंदन समेत जेसिया के सचिव अंजय पचेरीवाल, डीवीसी, टाटा स्टील, सेल के अधिकारी व अन्य लोग उपस्थित थे.
झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव अंजय पचेरीवाल ने बिजली संकट के कारण बंद हो रहे उद्योगों की बात रखी. उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में एक महीने में 150 घंटे तक बिजली नहीं रहती है. खूंटी स्थित लाह के एक उद्योग से निर्यात किया जाता है, लेकिन वहां कई बार जेनरेटर का उपयोग करना पड़ता है. आयोग के अध्यक्ष ने इसे गंभीरता से लिया और कहा कि इससे राज्य को नुकसान होगा. दूसरी ओर जेबीवीएनएल ने इस पर एतराज जताते हुए कहा कि आरडीएसएस स्कीम से औद्योगिक व कृषि फीडर अलग किये जा रहे हैं. यह काम पूरा होने पर उद्योगों को गुणवत्तापूर्ण निर्बाध बिजली मिलेगी.
बिजली विभाग के अफसर दो दिन गांव में गुजारें
समिति की एक सदस्य सिलागाईं की हेमलता उरांव ने बिजली वितरण निगम के अधिकारियों से कहा कि वह दो दिन गांव में गुजारें. तब पता चलेगा कि गांव को कितनी बिजली मिलती है. उन्होंने यह चुनौती उनकी ओर से गांव में छह घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिलने की शिकायत पर जेबीवीएनएल के अधिकारियों के ऐतराज पर दी. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रांसफारमर खराब होने पर तीन से चार दिन तक बिजली कटी रहती है. इस पर आयोग ने कहा कि ऐसी बात हो तो वह मुआवजा के लिए रिड्रेसल फोरम में अपील करें. उपभोक्ता मुआवजा के हकदार हैं.
राँची न्यूज़ डेस्क !!!