Ranchi राज्य में मत्स्य के क्षेत्र में उन्नत तकनीक का होगा उपयोग, सर्वे के जरिए नाव व जाल डिजाइन करने का निर्देश

झारखण्ड न्यूज़ डेस्क, कृषि मंत्री ने कहा कि केरल में कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य के क्षेत्र में कई स्तर पर कार्य किए हैं, जिसमें तकनीकी समावेश एक महत्वपूर्ण अंग है. हमारा प्रयास है कि केरल की उत्कृष्ट कृषि नीति व तकनीक को झारखंड में लागू की जाए. कृषि मंत्री बादल के नेतृत्व में कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम बीते तीन दिनों से केरल भ्रमण पर है.
केरल में यह टीम लगातार अलग-अलग कृषि संस्थानों का भ्रमण कर रही है. इसी क्रम में टीम ने टीम केरल के कोच्चि स्थित केंद्रीय मत्स्यकी प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) पहुंचे, जहां संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ शंकर टीवी ने टीम का स्वागत किया. सीआईएफटी में टीम ने कृषि, मत्स्य से जुड़ी तकनीकी एवं शैक्षणिक व्यवस्थाओं की जानकारी हासिल की.
मंत्री ने संस्थान के निदेशक के साथ झारखंड के मात्स्यिकी संसाधनों एवं उसके अनुसार राज्य के जरूरतों के बारे में विस्तृत से चर्चा की. संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ झारखंड में अवस्थित जलाशयों, परित्यक्त खदानों में मत्स्य पालन की तकनीक उपलब्ध कराने के बारे में चर्चा हुई. इस मौके पर कृषि निदेशक श्री चंदन कुमार, उपनिदेशक गव्य डॉ मनोज तिवारी, मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार मौजूद थे.
वर्क प्लान बनाने का अनुरोध मंत्री ने संस्थान के निदेशक को झारखंड में संचालित झास्कोफिश को सेल्फ डिपेंडेंट बनाने हेतु वर्क प्लान बनाने का अनुरोध किया. निदेशक ने आश्वस्त किया कि बहुत जल्द एक टीम भेजकर इसका अध्ययन करा लिया जाएगा. राज्य में धुर्वा, रांची में अवस्थित हाइजेनिक फिश मार्केट में हाइजेनिक कंडीशन में मछलियों की बिक्री एवं वेस्ट प्रोडक्ट के निष्पादन की तकनीक उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई.
संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि मात्र 65000 रुपये की लागत से हाइजेनिक रेफ्रिजरेटेड बॉक्स डेवलप किया गया है, जिसमें मछलियों को सही रूप में बिक्री किया जा सकता है. मछलियों के स्केल (चोईटा) निकालने के उपकरण एवं वेस्ट प्रोडक्ट को फिश मिल के रूप में भी इस्तेमाल करने की तकनीक को लेकर बात हुई. कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस, गुमला को सुदृढ़ करने हेतु भी वर्क प्लान बनाने के लिए वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया.
राज्य में कृषि की उन्नत तकनीक लाएंगे कृषि सचिव
कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने बताया कि राज्य के किसानों को कम खर्च में ज्यादा मुनाफा हो, इसके लिए सीआईएफटी का सहयोग तकनीक के क्षेत्र में लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम सीड, मत्स्य उत्पादन में काफी आगे हैं, लेकिन तकनीक का समावेश अगर इस क्षेत्र में होगा, तो किसानों के हित में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की राह आसान होंगी.
राँची न्यूज़ डेस्क !!!