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श्रीनाथजी मंदिर में संपन्न हुआ परंपरागत आषाढ़ी तौल, वर्षा और पैदावार को लेकर शुभ संकेत

श्रीनाथजी मंदिर में संपन्न हुआ परंपरागत आषाढ़ी तौल, वर्षा और पैदावार को लेकर शुभ संकेत

राजस्थान के राजसमंद जिले स्थित विश्व प्रसिद्ध श्रीनाथजी मंदिर में हर वर्ष की भांति इस बार भी आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के पावन अवसर पर परंपरागत ‘आषाढ़ी तौल’ विधिपूर्वक संपन्न किया गया। इस धार्मिक और पारंपरिक आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में उपस्थित रहे।

क्या है आषाढ़ी तौल?

श्रीनाथजी मंदिर में आषाढ़ी तौल एक विशेष धार्मिक परंपरा है, जिसमें प्रभु श्रीनाथजी को अनाज, वस्त्र, फल-फूल आदि से तौला जाता है। इस तौल का उद्देश्य आगामी वर्ष की वर्षा और फसल की स्थिति का अनुमान लगाना होता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे परंपरागत पंचांग और वैष्णव संप्रदाय की धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप मनाया जाता है।

इस वर्ष क्या संकेत मिले?

मंदिर प्रशासन के अनुसार, इस बार किए गए तौल के परिणाम शुभ माने गए हैं

  • अनाज की मात्रा और संतुलन को देखकर पुजारियों और धार्मिक विद्वानों ने बताया कि इस वर्ष वर्षा सामान्य रहने की संभावना है।

  • साथ ही, अनाज की पैदावार भी संतोषजनक रहने के संकेत मिले हैं।

धार्मिक श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ आयोजन

पूरे आयोजन को धार्मिक विधि-विधान और वैष्णव रीति के अनुसार सम्पन्न किया गया। मंदिर के सेवायतों ने विशेष पूजा-अर्चना के साथ श्रीनाथजी को विशेष आभूषणों से सजाया और भोग अर्पित किया। इसके बाद तौल कार्यक्रम शुरू हुआ।

श्रद्धालु ‘जय श्रीनाथजी’ के जयकारों के साथ पूरे कार्यक्रम में सहभागी बने। इस दौरान मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और पुष्पवर्षा भी की गई, जिससे माहौल अत्यंत भक्तिमय हो गया।

प्रशासन और सुरक्षा के रहे खास इंतजाम

मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। कोविड-19 के बाद यह आयोजन पहले की भांति खुलकर मनाया गया, जिससे स्थानीय व्यापारियों और होटल व्यवसायियों में भी उत्साह देखा गया।

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