
छत्तीसगढ़ न्यूज़ डेस्क, सैटेलाइट को हिन्दी में उपग्रह कहते हैं. मानव निर्मित यह एक ऐसा यंत्र है, जो पृथ्वी के बाहर पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाता है और हमें विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है. वैज्ञानिकों की ओर से सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाता है. एक बार स्थापित होने के बाद यह पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमण करता रहता है.
कई प्रकार के होते हैं सैटेलाइट
अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग सैटेलाइट बनाए जाते हैं. इसीलिए इनकी संरचना में थोड़ा सा फर्क होता है, क्योंकि अगर किसी सैटेलाइट को कोई विशेष कार्य के लिए बनाया गया है, तो उस कार्य को पूरा करने के लिए जिन ऑब्जेक्ट्स की जरूरत पड़ती है. वह उस सैटेलाइट में जोड़े जाते हैं. वहीं, कोई दूसरा सैटेलाइट है जो किसी अन्य कार्य के लिए बनाया गया है, तो उसमें कोई और ऑब्जेक्ट्स जोड़े जाएंगे. इसी वजह से सभी सैटेलाइट की संरचना एक समान नहीं होती है पर, मूलभूत ऑब्जेक्ट यानी बेसिक चीजें सभी सैटेलाइट में लगभग समान होती हैं.
आप टीवी जरूर देखते होंगे. क्या आपने कभी सोचा है कि टीवी में आप जो चैनल देखते हैं, वह कैसे दिखते हैं? बता दें कि सैटेलाइट की मदद से ही टीवी पर आपको चैनल दिखाई देते हैं. केवल यही नहीं बल्कि सैटेलाइट की सहायता से ही आप जीपीएस का उपयोग कर सकते हैं और दुनिया के किसी भी शहर का रास्ता देख सकते हैं. अगर आपको विदेश में किसी को कॉल करना है यानी अन्तरराष्ट्रीय कॉल करना है, तो यह भी सैटेलाइट की सहायता से होता है. यही नहीं, मौसम की जानकारी भी सैटेलाइट की मदद से ही मिलती है. जिस तरह चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, तो वह भी एक प्रकार का सैटेलाइट यानी उपग्रह ही है, पर वह प्राकृतिक उपग्रह है. उस पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है, लेकिन मानव निर्मित कृत्रिम उपग्रह पर उसका कंट्रोल होता है. जब सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाता है, तब सैटेलाइट पर गुरुत्वाकर्षण बल का असर नहीं होता है. इसी वजह से पृथ्वी सैटेलाइट को अपनी ओर आकर्षित यानी अपनी ओर खींच नहीं सकती और वह चारों ओर घूमता रहता है.
सैटेलाइट कई प्रकार के होते हैं.
कहां से लेते हैं ऊर्जा
सैटेलाइट को भी ऊर्जा की जरूरत पड़ती है. यह ऊर्जा सैटेलाइट के दोनों और लगे सोलर पैनल पूरी करते हैं. सैटेलाइट के बीच ट्रांसमीटर और रिसीवर फिट किए जाते हैं, जो कि सिग्नल भेजने और रिसीव करने का काम करता है. इसमें बड़े कैमरे और स्केनर्स भी लगे होते हैं. जिसकी मदद से हम पृथ्वी की तस्वीर खींच सकते हैं और पृथ्वी की सतह को स्कैन भी कर सकते हैं.
इसके लिए जरूरी ऑब्जेक्ट्स भी सैटेलाइट में होते हैं.
पृथ्वी से ही कर सकते हैं कंट्रोल
सैटेलाइट में एक ऐसा कंट्रोल सिस्टम सेट किया जाता है, जिसकी मदद से वैज्ञानिक पृथ्वी से ही इसको कंट्रोल कर सकते हैं. सैटेलाइट की दिशा बदलनी हो, कैमरे का एंगल बदलना हो, जूम कम-ज्यादा करना हो, ये सब कंट्रोल सिस्टम की मदद से कर सकते हैं. इसका ज्यादातर उपयोग संचार के लिए होता है. यह पृथ्वी से अधिक ऊंचाई पर स्थित होता है.
इसकी वजह से यह ज्यादा क्षेत्रफल को कवर करता है. रेडियो और ग्राउंड वेव्ज पृथ्वी के सभी भाग को कवर नहीं कर सकती. इसीलिए सैटेलाइट का उपयोग किया जाता है.
रायपुर न्यूज़ डेस्क !!!