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Pratapgarh Uttrapradesh आंख से फेफड़े तक हमला कर रही भूसे की धूल

तंदुरुस्त फेफड़े

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  गेहूं-सरसों आदि फसलों की मड़ाई के दौरान धूल कण आंख, सांस व फेफड़े तक को प्रभावित कर रहे हैं. सबसे अधिक परेशानी दमा के मरीजों और छोटे बच्चों को हो रही है. मेडिकल कॉलेज के बाल रोग, फिजिशिएन व आंख की ओपीडी में इसके पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. डॉक्टर दवा से अधिक एहतियात को कारगर बताते हुए मरीजों को समझा रहे हैं.

इस समय तिलहन, दलहन के साथ गेहूं और जौ की भी फसलें तैयार हो गई हैं. ऐसे में आसमान में बादल देख किसानों को पानी व आंधी का खतरा डरा रहा है. इसलिए जल्द से जल्द फसल की मड़ाई कराने की होड़ लग गई है. इस होड़ में कई किसान सावधानी बरतना भूल जा रहे हैं. ऐसे में दमा के मरीज बोझ पकड़ाने लगते हैं तो छोटे बच्चे गेहूं के दाने थ्रेसर के पास से घर में ढोने लगते हैं. इस दौरान थ्रेसर से उड़ रही भूसे की धूल सांस के जरिए नली से फेफड़े तक प्रवेश कर रही है. ऐसे लोग एलर्जी के शिकार होकर अस्पताल आ रहे हैं.

सामान्य धूल से ज्यादा घातक

सांस के मरीजों के अलावा जिन लोगों की आंख में मड़ाई के दौरान भूसे की धूल के कण प्रवेश कर रहे हैं उन्हें सामान्य धूल के कण जाने से अधिक पीड़ा हो रही है. नेत्र रोग के डॉ. विवेक त्रिपाठी का कहना है कि फसल से बनी धूल के कण सामान्य धूल से बड़े होते हैं और इनमें बैक्टीरिया के साथ फंगस भी चिपके होते हैं. इसलिए यह सामान्य धूल से अधिक एलर्जी पैदा करते हैं. यदि आंख मलने की गलती हो जाए तो घाव तक बन जाते हैं.

लोग बच्चों को थ्रेसर के पास खेलने से भी मना नहीं कर रहे हैं. इससे बच्चे फसल मड़ाई से उड़ रही धूल की चपेट में आकर बीमार हो रहे हैं. पिछले साल   के बाद ओपीडी में ऐसे बच्चों की संख्या काफी बढ़ गई थी. इस साल भी ऐसे मरीज आने की शुरुआत हो गई है.- डॉ. अनिल कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज

 

 

प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क

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