![Jamshedpur जुलूस के दौरान डीजे पर रहेगी पाबंदी](https://samacharnama.com/static/c1e/client/79965/uploaded/246d6254b44a92604e7f21492657b91e.jpeg?width=730&height=480&resizemode=4)
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क मेडिकल कॉलेज के नाक कान गला विभाग की ओपीडी में कान की नसों के हेयर सेल क्षतिग्रस्त होने वाले मरीज पहुंचकर डॉक्टर को चौंका रहे हैं. दरअसल कान की नसों के हेयर सेल डैमेज होने का मतलब मरीज का कान 120 डेसीबल से भी अधिक तेज आवाज की चपेट में आया है.
अधिकांश मामलों में ही कान प्रभावित होता है इससे पीड़ित को जल्द पता भी नहीं चल पा रहा कि उसे कान से कम सुनाई दे रहा है.
मेडिकल कॉलेज के राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय में नाक कान गला विभाग की ओपीडी में दिन में औसतन 100 मरीज आ रहे हैं. इसमें से दस फीसदी मरीज कम सुनाई देने की समस्या से पीड़ित रहते हैं. लेकिन ऑडियोलॉजिस्ट राजकिशोर मिश्र के मुताबिक जब से शादियों का सीजन शुरू हुआ है तब से - मरीज ऐसे आ रहे हैं जिनके कान की नसें डीजे के तेज साउंड की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हुई हैं. उनके मुताबिक 100 डेसीबल तक की आवाज को कान बर्दाश्त कर लेता है लेकिन जब डीजे की 130 डेसीबल से अधिक तीव्र आवाज कान के भीतर जाती है तो नसों में बहुत तेज झटका लगता है. ऑडियोमेट्रिक सहायक शशांक सिंह ने बताया कि यह झटका इतना जोरदार होता है कि कान की नाजुक नसों पर स्थित हेयर सेल को उनकी जगह से तितर-बितर कर देता है. जबकि यही हेयर सेल ध्वनि तरंगों को दिमाग तक पहुंचाते हैं. अपने स्थान से हट जाने की वजह से हेयर सेल ध्वनि तरंगों को दिमाग तक नहीं पहुंचा पाते और सुनाई देना बंद हो जा ता है. लेकिन पीड़ित को तब पता चलता है जब वह ईयरफोन लगाता है. आशीष दुबे व पंकज सरोज आदि मरीजों ने बताया कि डांस करते समय उनका जो कान डीजे की साउंड बॉक्स की तरफ था उसी से सुनाई देना कम हुआ है, दूसरी तरफ का कान सही है.
प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क