
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क तेज धूप के बीच निकलने वाले लोग काला चश्मा के झांसे में आकर अपनी आंखों को बीमार कर रहे हैं. राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय के नेत्र रोग विभाग में आंख में इंफेक्शन की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों में 40 फीसदी लोग काला चश्मा लगाने वाले हैं.
सर्दियों की अपेक्षा गर्मी में सूर्य की अल्टा वायलेट (यूवी) किरणें तीन गुना तीव्र होकर आंखों की कार्निया पर सीधा हमला करती हैं. कार्निया के सेल डैमेज होने से आंखों में सूखापन आता है और चुभन, खुजली के साथ पानी निकलने लगता और लाल हो जाती हैं. वरिष्ठ नेत्र परीक्षण अधिकारी पुण्य श्लोक पांडेय के मुताबिक आखों को सूर्य की यूवी किरणों से बचाने के लिए लोग गलतफहमी में सामान्य काला चश्मा लगाकर निकल रहे हैं.
जबकि काला चश्मा रोशनी कम करता है, यूवी किरणों को नहीं रोकता. लेकिन काला चश्मा लगाने वालों को लगता है कि अब उनकी आंखें सुरक्षित हैं और वे तेज धूप में बिना काम के भी निकल जाते हैं. दोपहर में भी धूप से बचने का प्रयास नहीं करते. इससे उनकी आंखें यूवी किरणों के सम्पर्क में अधिक समय तक रहने से इंफेक्शन का शिकार हो रही हैं.
ऐसे करें आंखों का बचाव
1-आंखों में इंफेक्शन के लक्षण हों तो बर्फ से धुलें.
2-बहुत जरूरी होने पर भी धूप में कम निकलें.
3-बाहर निकलना मजबूरी हो तो यूवी प्रोटेक्टर चश्मा लगाएं.
4-चश्मे का रंग चटकीला नीला या पीला न हो.
लोग सामान्य काले चश्मे को यूवी प्रोटेक्टर समझकर धूप में निकल रहे हैं. ऐसे लोग यह मानकर चलते हैं कि उन्होंने काला चश्मा पहना है तो धूप से बचने की जरूरत नहीं. इंफेक्शन के कुल मरीजों में करीब आधे मरीज ऐसे आ रहे हैं जो सामान्य काला चश्मा लगा रहे हैं.
-डॉ. विवेक त्रिपाठी, नेत्र सर्जन, मेडिकल कॉलेज
तारीख कुल इंफेक्शन काला चश्मा वाले
23-5-23 117 47
22-5-23 124 51
20-5-23 107 43
19-5-23 110 45
18-5-23 114 44
17-5-23 115 44
16-5-23 116 46
प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क