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Pratapgarh अंग प्रत्यारोपण को बेल्हा के लोग महानगरों पर हैं निर्भर
 

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उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के मुताबिक जिले में हर साल 30 से 35 मरीजों को नेत्र (कार्निया) ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है लेकिन जिले में सरकारी या निजी किसी अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसलिए मरीज प्रयागराज जाकर कार्निया का प्रत्यारोपण करा रहे हैं, जबकि अन्य अंगों के प्रत्यारोपण के लिए दिल्ली या मुम्बई जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ रहा है.


जिले में आंख से लेकर किडनी आदि अंगों के प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है. देहदान करने का संकल्पपत्र भरने वाले लोग (महादानी) भी कम नहीं हैं. किन्तु दान करने वाले महादानी के शरीर से अंग निकालकर मरीज के शरीर में प्लांट करने की सुविधा यहां के किसी अस्पताल में नहीं है. नेत्र के लिए कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा पड़ोसी जनपद प्रयागराज, चित्रकूट व लखनऊ में है. मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर विवेक त्रिपाठी ने बताया कि कार्निया ट्रांसप्लांट के लिए बेल्हा के अधिकांश मरीज प्रयागराज जाते हैं. किन्तु आंख के अलावा अन्य अंगों के प्रत्यारोपण के आसपास के जिलों में भी कोई व्यवस्था नहीं है.
एयर लिफ्टिंग न ग्रीन कॉरीडोर की व्यवस्था
बेल्हा में अचानक किसी को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ जाए तो बड़े शहर के अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कारीडोर (ट्रैफिक फ्री रास्ता) बनाने की कोई व्यवस्था नहीं है. अंग प्रत्यारोपण के लिए एयर एंबुलेंस से बड़े शहर के अस्पताल ले जाने का भी इंतजाम नहीं है.


प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क
 

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