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Patna  के लोगों को खल रहा सिंचाई सुविधाओं का अभाव

Nainital सिंचाई का पानी मिलना बंद गौलापार खतरे में पड़ी खेती

बिहार न्यूज़ डेस्क नवादा संसदीय क्षेत्र में चुनाव का पारा चरम पर है. चार दिन बाद यहां मतदान होना है. विचार-विमर्श का दौर तेज हो गया है. कुछ बातों पर असमंजस है. समीकरण भी एक बड़ा पहलू है. बागी के हस्तक्षेप पर भी मंथन चल रहा है. लोगों का मिजाज बताता है कि वे फैसला अगले दो-तीन दिन में करेंगे.

यह तय है कि नवादा लोकसभा क्षेत्र के मतदाता जिस पर अपनी मेहरबानी बरसायेंगे, वह पहली बार लोकसभा जायेंगे, क्योंकि मैदान के सभी लड़ाके नये हैं. पिछले चुनाव में लोजपा के चंदन सिंह यहां से जीते थे. इस बार भाजपा यहां से खुद लड़ रही है. पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर के पुत्र और राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को भाजपा ने उतारा है. राजद से श्रवण कुशवाहा मैदान में हैं. राजबल्लभ यादव के अनुज बिनोद यादव तथा लोकगायक गुंजन कुमार के निर्दलीय लड़ने से दोनों खेमों में हलचल है. बसपा ने भी रंजीत कुमार को मैदान में उतारा है.

बात नवादा के मिजाज की करें तो, सूखे खेत, संकरी सड़कें, सिंचाई की सुविधा का अभाव यहां की पहचान है. चीनी मिलों के बंद होने से जीवन की मिठास खत्म हो चली है. ककोलत जलप्रपात को विशेष तौर पर विकसित नहीं किए जाने और केंद्रीय विद्यालय नहीं खुलने का मलाल भी लोगों को है. मतदान बस चार दिन बाद है, पर लोग अभी भी ‘समय आने पर निर्णय लेंगे’ की बात कहते हैं. बिहारशरीफ से अस्थावां होते हुए मिशन चौक पहुंचेंगे तो बरबीघा विधानसभा यानी शेखपुरा जिले की सीमा शुरू होती है.

गुमटी लगाकर जीविका चला रहे रामपुर सिंडाय के सूरज कहते हैं कि एक समस्या हो तो कहा जाए. कहने को बिजली है पर पूरी गर्मी जीना दूभर हो जाता है. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो गया है. खेती है, पर सिंचाई की सुविधा नहीं है. विश्वकर्मा चौक पर युवा कुणाल कहते हैं कि आजादी के बाद वारिसलीगंज में चीनी मिल की स्थापना हुई लेकिन 93 में इसमें ताला लग गया. मेरे जन्म से पहले ही चीनी मिल बंद हो गया. अगर चालू रहता तो शायद नवादा की तस्वीर और तकदीर कुछ और होती.

पकरीबरावां, गोला बड़राज में छठ पूजा की सामग्री खरीद रहे लोगों ने बताया कि नवादा जिले में सड़कें संकरी हैं और सिंचाई सुविधा की कमी है. वारिसलीगंज के रास्ते में कुछ किसान गन्ने की कटाई के बाद खेत में आग लगाते दिखे. मीरचक के नागेन्द्र कहते हैं कि अगर पानी की सुविधा हो तो खेत जोतकर घास-फूस को सड़ाया जा सकता है. जब सिंचाई के लिए ही पानी नहीं है तो फिर फसल कटाई के बाद खेत में आग लगाना मजबूरी है. सरकारी योजनाओं से वंचित होने के सवाल पर कहते हैं कि क्या करें, आग न लगाएं तो खेती चौपट और लगाने पर सरकारी योजना का लाभ नहीं. सब नियम किसानों पर ही लागू होता है. हालांकि नागेन्द्र ने पीएम किसान योजना की तारीफ की.

 

 

पटना  न्यूज़ डेस्क

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