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Patna  अभिलेख में फर्जीवाड़ा, अनुपस्थित को बताया उपस्थित

Ranchi फर्जीवाड़ा रोकने का अभियान शुरू:झारखंड के 2.48 लाख वृद्ध व दिव्यांगों को देना होगा प्रमाण-मैं पेंशनभोगी हूं

बिहार न्यूज़ डेस्क बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सरकारी अभिलेख में छेड़छाड़ कर फर्जीवाड़ा करने का मामला प्रकाश में आया है. इसमें मध्यमा परीक्षा के दौरान अनुपस्थित रही छात्रा को उपस्थित बताकर पास होने का दूसरा प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है. जांच में खुलासा होते ही कर्मियों में हड़कंप मच गया.

मामले को गंभीरता से लेते हुए बोर्ड के प्रशासक सुनील कुमार के आदेश पर सचिव अमर भूषण ने सेवानिवृत अभिलेख प्रभारी प्रमोद ओझा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सचिवालय थाना में लिखित शिकायत दी है. दरअसल, पटना उच्च न्यायालय में सीडब्लूजेसी- 75580 / , भारती कुमारी बनाम राज्य सरकार एवं अन्य के मामले में शिक्षा विभाग जवाब तैयार कर रहा था. इसमें पता चला कि मधुबनी की रहने वाली भारती कुमारी, कोड-62, क्रमांक514, वर्ष 89 की मध्यमा परीक्षा में अनुपस्थित थी. इसके बाद इन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षिका की नौकरी हासिल कर ली. जब निगरानी ब्यूरो की जांच शुरू हुई तो जांचकर्ता पुलिस निरीक्षक ने भारती कुमारी के अंक प्रमाण पत्र संख्या-115702 का सत्यापन कराया. इसमें तत्कालीन जीटीआर प्रभारी प्रमोद ओझा ने विजिलेंस को जांच रिपोर्ट सौंपी कि अंक पत्र के विषय सातवां और आठवां में भारती कुमारी अनुपस्थित थीं. यह बोर्ड के अभिलेख में दर्ज है. निगरानी के पास भेजे गए सत्यापन प्रतिवेदन में उन्होंने रौल नंबर 514 को अनुपस्थित एवं फर्जी बताया था. इसके बाद बोर्ड के अभिलेख प्रभारी प्रमोद ओझा ने उसी रौल नंबर के द्वितीय अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र निर्गत करने के क्रम में जीटीआर का सत्यापन करते भारती कुमारी के अंक पत्र को सही बताते हुए विषयवार प्राप्त नंबर के साथ उसे परीक्षा नियंत्रक के पास भेज दिया.

आरोप है कि उन्होंने जीटीआर में छेड़छाड़ और कटिंग कर भारती कुमारी को दूसरा अंक पत्र जारी कर दिया गया. बोर्ड के सचिव अमर भूषण ने कहा है कि जीटीआर के एक अतिरिक्त कापी (आरटीआर) का जब अवलोकन किया गया तो उसमें भारती कुमारी अनुपस्थित पाई गईं. आरटीआर के प्रभारी परीक्षा नियंत्रक के पास मौजूद कॉपी से यह खुलासा हुआ. जांच में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद सचिव ने तत्कालीन अभिलेख प्रभारी से जवाब-तलब किया तो उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया.

भागलपुर की पूनम कुमारी के मामले में ठीक इसके उलट रिपोर्ट निगरानी को दी गई. पूनम कुमारी मध्यमा परीक्षा पास थी, लेकिन प्रमोद ओझा ने उनके प्रमाण पत्र के फर्जी होने की रिपोर्ट दी थी. जब पूनम कुमारी ने आपत्ति दर्ज करायी तो जांच में गड़बड़ी का खुलासा हुआ. अनुपस्थित को उपस्थित दिखाने और सही प्रमाण-पत्र को फर्जी बताते दोनों ही मामलों में तत्कालीन अभिलेख प्रभारी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए बोर्ड की ओर से आवेदन सचिवालय थाना को दिया गया है.

 

 

पटना  न्यूज़ डेस्क

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