बिहार न्यूज़ डेस्क आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों का स्वास्थ्य आईडी बनेगा, इसकी जानकारी एक तिहाई सेविकाओं को नहीं है. राज्यभर के कुल एक लाख 14 हजार आंगनबाड़ी केंद्र पर एक लाख 11 हजार सेविकाएं कार्यरत हैं.
इसमें 40 हजार से अधिक सेविकाएं ऐसी हैं जिन्हें बच्चों के स्वास्थ्य आईडी के बारे में जानकारी तक नहीं है. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का स्वास्थ्य आईडी बनना तक शुरू नहीं हो पाया है.
बता दें कि राज्य के सभी आंगनबाड़ी केंद्र पर नामांकित छह वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य आईडी बनाया जाना है. इसकी शुरुआत अक्टूबर 2022 में हुई थी. दो साल बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य आईडी नहीं बन पाया है. वहीं एक साल में सौ फीसदी बच्चों का स्वास्थ्य आईडी बनाया जाना था.
आईडी नहीं होने से इलाज करवाने में असमर्थ हैं अभिभावक
आंगनबाड़ी केंद्र में 45 फीसदी से अधिक बच्चे गरीबी रेखा के नीचे हैं. ऐसे में बच्चें के बीमार होने पर अभिभावक सही जगह पर इलाज नहीं करवा पाते हैं. अगर स्वास्थ्य आईडी बन जाता तो बच्चों को इलाज और दवा मिलने में सहूलियत होती. आंगनबाड़ी केंद्र पर कुल 544 प्रोजेक्ट का संचालन किया जाता है. इनमें सभी प्रोजेक्ट बेहतर तरीके से चल रहे हैं. कई में तो आईसीडीएस काफी आगे भी है. वहीं स्वास्थ्य आईडी की बात करें तो इसमें सबसे नीचे के पायदान पर आईसीडीएस है. आधे से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र पर यह प्रोजेक्ट शुरू भी नहीं हो पाया है.
वर्तमान में मात्र 1435 बच्चों का ही कार्ड बना है, जबकि राज्य के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलाकर 93 लाख से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य आईडी बनाया जाना है.
पटना न्यूज़ डेस्क