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Patna  प्रयोगशाला प्रावैधिक की नियुक्ति की होगी जांच

Nainital दिल्ली, भोपाल के कई रसूखदार जांच के घेरे में

बिहार न्यूज़ डेस्क सूबे में फर्जी नियुक्ति पत्र से प्रयोगशाला प्रावैधिक की नियुक्ति का मामला सामने आया है. इसके बाद राज्य सरकार ने उस नियुक्ति पत्र 398 (4), दिनांक 13.04.2022 के आधार पर नियुक्त सभी 18 प्रयोगशाला प्रावैधिको की नियुक्ति की जांच कराने का निर्णय लिया है.

इस संबंध में स्वास्थ्य सेवाएं (रोग नियंत्रण, लोक स्वास्थ्य एवं पारा मेडिकल) की निदेशक प्रमुख डॉ. निहारिका शरण ने राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय बेतिया के प्राचार्य के साथ-साथ समस्तीपुर, भोजपुर, गोपालगंज, मुंगेर, सीवान, सुपौल, जहानाबाद, पूर्णिया, नवादा एवं सारण के सिविल सर्जन को पत्र लिखा है. साथ ही संबंधित कर्मियों के बारे में पूरा जानकारी मांगी है. दरअसल, मुंगेर के संग्रामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने पिछले दिन एक प्रयोगशाला प्रावैधिक के संबंध में मुख्यालय को कुछ जानकारी दी थी. इसी क्रम में उक्त कर्मी की नियुक्ति की जांच की गयी.

प्रारंभिक जांच में उस नियुक्ति पत्र को ही फर्जी पाया गया जिसके माध्यम से उस प्रयोगशाला प्रावैधिक की नियुक्ति की गई थी. इसके बाद सरकार ने उस नियुक्ति पत्र के माध्यम से नियुक्त सभी 18 प्रयोगशाला प्राविधिकों की नियुक्ति की जांच करने का निर्णय लिया. इस नियुक्ति पत्र के माध्यम से इन प्रयोगशाला प्रावैधिकों को राज्य के विभिन्न जिलों के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में पदस्थापित करने का उल्लेख किया गया है.

लंबित मामलों की सुनवाई छुट्टी बाद

राज्य की निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट गर्मी छुट्टी के बाद करेगा. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की.

आवेदक कौशिक रंजन की ओर से अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न अदालतों में आपराधिक मामलें लंबित है. 67 हजार से ज्यादा ऐसे मामलें हैं, जिनमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. यहां तक कि उनके वकील केस में पैरवी नहीं कर रहे हैं. कई मामले तीस-चालीस साल से लंबित हैं. ऐसे केसों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है.

 

 

पटना  न्यूज़ डेस्क

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