बिहार न्यूज़ डेस्क नव नालंदा महाविहार ने भारत की सॉफ्ट डिप्लोमेसी को सुदृढ़ किया है.यह बौद्ध देशों के साथ अकादमिक एवं सांस्कृतिक संबंध स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
ये बातें नव नालंदा महाविहार में विदेश सेवा के परिवीक्षार्थियों के साथ आयोजित दो दिवसीय परिचर्चा के दौरान कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने कही.परिवीक्षार्थियों ने कार्यक्रम में नालंदा का इतिहास जाना।
कुलपति ने कहा कि आप भविष्य के राजनयिक हैं.एक तरह से आप दूसरे देशों में भारत की संस्कृति एवं सभ्यता के प्रतिनिधि होंगे.आपका कर्तव्य बनता है कि आप अपने कार्यकाल में दूसरे देश के लोगों को नालंदा की संस्कृति से अवगत करायें.यह वह भूमि है जिसने प्राचीन समय से ही विश्व के साथ शैक्षिक व सांस्कृतिक संबंध स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है.उन्होंने भारतीय विदेश सेवा अधिकारियों को प्राचीन नालंदा एवं नव नालंदा महाविहार का इतिहास, पाठ्यक्रम एवं दोनों विश्वविद्यालयों की संस्कृति, सभ्यता एवं बौद्ध परंपरा से अवगत कराया।
इसके साथ प्राचीन भारत के शिक्षा संस्थानों और उस समय की शिक्षा प्रणाली को विस्तार से बताया।
पालि विभागाध्यक्ष ने कहा हमें अपनी संस्कृत धाराओं से पूरे विश्व को परिचय करवाना है.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंध स्थापित करने का कार्य सम्राट अशोक के समय प्रारंभ हो गया था.बौद्ध विरासत को केंद्रित करते हुए सम्राट अशोक ने तृतीय बौद्ध संगीति के उपरांत बौद्ध भिक्षुओं को श्रीलंका समेत कई देशों में भेजा था.दीपक आनंद ने कहा महाविहार आयोजित चारिकायें विश्व के बौद्ध अनुयायियों को एक सूत्र में बांध रही है.यह नालंदा की पुण्यभूमि को विश्व पटल पर नई पहचान दिला रही है.सुषमा स्वराज्य विदेश सेवा संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे परिवीक्षाधीन अधिकारी अमन सौरभ, श्रीहर्ष, आकांक्षा, अन्नपूर्णा सिंह, सोनम तोपके व जयश्री प्रधान गुरु वार को नव नालंदा महाविहार पहुंची.कुलपति ने सभी अतिथियों को बौद्ध परंपरा के अनुसार खत्तक पहनाकर स्वगत किया.विदेश सेवा संस्थान और नव नालंदा महाविहार के बीच संबंध स्थापित करने के लिए डीन राजकुमार श्रीवास्तव को धन्यवाद दिया.इस अवसर पर महाविहार द्वारा निर्मित डाक्युमेंट्री का प्रसारण किया गया.परिचर्चा के बाद अतिथियों ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष, व्हेनसांग स्मृति भवन, वेणुवन, स्वर्ण भंडार तथा अजातशत्रु स्तूप का भ्रमण कराया गया.परिचर्चा का संचालन समन्वयक प्रो. राणा पुरुषोतम कुमार सिंह ने किया।
पटना न्यूज़ डेस्क