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Patna  जात-पात नहीं, क्षेत्रीय मतदाताओं के केंद्र में रहता है विकास

फर्जी वोट डालने वालों पर नकेल कसने के लिए सभी बूथों पर बायोमैट्रिक सिस्टम लगाये जाने के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है। अब चाहे दोबारा वोट डालने के लिए घूंघट में पहुंचने वाली महिला हो या पुरुष फर्जी मतदान करने पर तुरन्त जेल की हवा खानी पड़ेगी। जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं का मतदान केंद्र पर बायोमैट्रिक विधि से सत्यापन के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया है।  प्राप्त दिशा निर्देश में बताया गया है कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर बायोमेट्रिक सिस्टम के माध्यम से जांच की व्यवस्था की गयी है। जहां एक मतदाता द्वारा अपने मूल बूथ के अतिरिक्त अन्य किसी भी बूथ पर दोबारा वोट करना संभव नहीं हो सके। आयोग द्वारा फर्जी मतदान को रोकने के लिए प्रत्येक चरण में प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की बायोमैट्रिक जांच कराने का निर्णय लिया गया है।  फिंगर प्रिंट से होगा आधार का सत्यापन आयोग के अनुसार अगर निर्वाचक वैकल्पिक पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड लेकर आते हैं तो फिंगर प्रिंट से आधार पर उसका त्वरित सत्यापन किया जाएगा। चूंकि आधार सत्यापन के क्रम में किसी भी मतदाता की सम्पूर्ण विवरणी एक बार मतदान करते समय सुरक्षित हो जायेगी अगर मतदाता पहले मतदान कर चुका होगा तो उसकी भी जानकारी मिल जाएगी और उस जिला या प्रखंड के किसी भी मतदान केंद्र पर फर्जी मतदान को रोका जा सकेगा।  तकनीकी कर्मी बायोमेट्रिक उपकरण के साथ रहेंगे आयोग के अनुसार बोगस वोटिंग को पूरी तरह से रोकने के लिए प्रत्येक बूथ पर एक तकनीकी कर्मी बायोमैट्रिक उपकरण एवं टैबलेट लेकर तैनात रहेगा। जो मतदाता का अंगूठे का निशान, उनका फोटो, इपिक या अन्य पहचान पत्र, मतदाता पर्ची का फोटो लेकर उसे बायोमैट्रिक प्रणाली के डाटाबेस में सुरक्षित करेगा।  यदि कोई निर्वाचक बूथ पर दोबारा मतदान करने आता है तो सिस्टम तुरंत उसकी पहचान कर लेगा तथा उसके द्वारा पूर्व में किये गये मतदान के विवरण के साथ फर्जी मतदाता के रूप में चिह्नित कर अलर्ट भेजेगा। इस प्रकार, फर्जी व दोबारा मतदान पर रोक लगायी जाएगी। साथ ही, ऐसे फर्जी मतदाता पर पंचायतीराज अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।  डुप्लीकेट मतदाता के रूप में भी चिह्नित कर लेगा सिस्टम निर्वाचन आयोग के अनुसार सत्यापन संबंधी डाटा क्लाउड पर हाेस्टेड केन्द्रीय सर्वर पर संग्रहित होगा, अतः अगर मतदाता किसी अन्य मतदान केन्द्र पर भी मतदान करना चाहे तो बायोमेट्रिक सत्यापन से उसकी पहचान तत्काल स्थापित हो सकेगी।  साथ ही बताया की बायोमेट्रिक सत्यापन विधि अन्तर्गत यदि किसी मतदान केन्द्र पर इन्टरनेट कनेक्टिविटी बाधित होती है, तो उस परिस्थिति में भी उस मतदान केन्द्र पर निर्वाचक यदि दोबारा मतदान करने आता है, तो सिस्टम उसे तत्काल डुप्लीकेट मतदाता के रूप में भी चिन्हित कर लेगा क्योंकि उक्त मतदान केन्द्र पर जितने भी मतदाता मत का प्रयोग करने आएंगें उनका पूर्व से ही अंगूठे का निशान खींचा गया फोटो, प्रयुक्त पहचान पत्र ‘टैबलेट’ में लगातार सुरक्षित किया जाता रहेगा।  विदित हो कि ‘टैबलेट’ में उस मतदान केन्द्र की मतदाता सूची पहले से ही संग्रहित होगी। टैबलेट के माध्यम से रियल टाइम रिपोर्ट प्रत्येक दो घंटे पर मिलेगा।जिसमे ब्राडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट, इंडिया लिमिटेड को बायोमैट्रिक सत्यापन के लिए अधिकृत किया गया है।

बिहार न्यूज़ डेस्क बिहार में जातीय गणना की खूब चर्चा है. राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे मुद्दा बनाया जा रहा है. बावजूद इसके सूबे की राजधानी पटना में रहने वाले दूसरे प्रदेश के लोग जात-पात पर वोट नहीं करते हैं. विकास, ईमानदार उम्मीदवार व बेहतर सरकार चयन को वे तवज्जो देते हैं. राष्ट्रीयता के लिए क्षेत्रीय मतदाता खुद को एक सूत्र में बांध लेते हैं.

पटना में लोकसभा की दो सीटे हैं. पटना सहिब और पाटलिपुत्र में क्षेत्रीय मतदाता है. पटना साहिब में सबसे अधिक क्षेत्रीय लोग रहते हैं. इसमें तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात समेत सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. क्षेत्रीय मतदाता मतदान का जो आधार बनाते हैं वो निसंदेह जाता-पात पर हावी रहता है.

दोनों लोकसभा क्षेत्र में 15000 क्षेत्रीय मतदाता हैं. इसमें 12 हजार सिख हैं. सबसे अधिक पटना सहिब लोकसभा क्षेत्र में है. श्री सनातनी सिख सभा के अध्यक्ष त्रिलोक सिंह निषाद ने कहा कि देश की तरक्की और ईमानदार उम्मीदवार को चुनने के लिए जात-पात को कभी आधार नहीं बनाते हैं. चाहे विधान सभा का चुनाव हो या लोक सभा का चुनाव जात को नहीं पटना और दिल्ली को देखते हैं.

पटना तमिल संगम के सदस्य का भी कहना है कि पटना में दक्षिण भारतीय लोगों में तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोग रहते हैं. इसमें सबसे अधिक 300 मलयाली परिवार हैं. वहीं, तमिलनाडु के करीब 150 परिवार रहते हैं. आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के करीब 100 परिवार रहते हैं. दक्षिण भारत से पटना में रहने वाले क्षेत्रीय मतदाताओं की संख्या 1600 से अधिक है. जाति को छोड़कर बाकी सभी चीजों को आधार बनाकर ही जनप्रतिनिधि का चयन करते हैं.

महाराष्ट्र के 1500 वोटर

महाराष्ट्र के संजय कुमार पटना को ही कर्म भूमि बना चुके हैं. उनका कहना है कि पटना में करीब 450 मराठी परिवार रहते हैं. महाराष्ट्र में जात-पात नहीं चलता. बिहार में हम मतदाता भी है. उम्मीदवार उम्मीदवार समाज और देश के विकास में क्या कुछ कर सकता है, उसपर सभी की नजर रहती है. संजय बताते हैं के गुजरात और मारवाड़ी समुदाय के लोग भी इन सब चीजों को अमूमन प्रमुखता नहीं देते हैं.

 

 

पटना  न्यूज़ डेस्क

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