Patna राजधानी का विस्तार हुआ पर ड्रेनेज क्षमता रह गई पुरानी, हर साल जलनिकासी में होती है दिक्कत, लेकिन नहीं निकाला जा रहा स्थायी समाधान

बिहार न्यूज़ डेस्क नगर निगम 108 वर्ग किमी में फैला है. निगम क्षेत्र में 75 वार्ड हैं. इनमें से 20 ऐसे हैं, जहां आबादी बहुत तेजी से बढ़ी. घर-मकानों की संख्या बढ़ी लेकिन नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाओं पर कोई काम नहीं हुआ.
खासकर निगम क्षेत्र के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र के लोग दो दशक से इंतजार में हैं कि कब उनके क्षेत्र से जलजमाव की समस्या दूर होगी. निगम क्षेत्र की आबादी 18 लाख से अधिक है. जब से नगर निगम का गठन हुआ है, तब से क्षेत्र विस्तार हुआ लेकिन ड्रेनेज और सीवरेज नेटवर्क का विस्तार नहीं हुआ. निगम प्रशासन नौ बड़े कच्चे नालों से बारिश का पानी निकालता है. ये सभी नाले खुले हैं. बारिश का पानी निकालने के लिए 50 से अधिक स्थायी और अस्थायी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन से उच्च क्षमता के पंप चालू कर शहर का पानी निकाला जाता है. नगर निगम क्षेत्र से बारिश का पानी प्राकृतिक प्रवाह के रूप में नहीं निकलता है, उसके लिए पंप की जरूरत पड़ती है. हर साल मानसून में निगम अस्थायी उपाय और जुगाड़ से पानी की निकासी करता है.
व्यापक सर्वे कर पटना स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज मास्टर प्लान बनाया गया. ड्रेनेज मास्टर प्लान के तहत नालों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. निगम क्षेत्र में नया ड्रेनेज नेटवर्क तैयार करने की जिम्मेवारी बुडको को दी गई है. पटना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत चार बड़े बरसाती नालों को भी दुरुस्त कर आरसीसी ड्रेन बनाने का काम भी लटका हुआ है. मौजूदा समय में छह अंचलों में करीब 41 वर्ग किमी में क्षेत्र में पुराना ड्रेनेज नेटवर्क है. इसकी मदद से शहर का पानी निकाला जाता है. निगम क्षेत्र के पांच अंचलों में 137.35 किमी की दूरी में ड्रेनेज नेटवर्क तैयार होना है, जिस पर 631 करोड़ 35 लाख रुपये खर्च होने हैं.
पटना न्यूज़ डेस्क