पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने से हुआ विवाद, वीडियो में देखें पहले पूछा- ये क्या है जी, फिर खींच दिया
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान एक महिला डॉक्टर नुसरत परवीन के साथ विवादित घटना को अंजाम दिया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने नुसरत को नियुक्ति पत्र पहले तो सौंपा, लेकिन इसके बाद अचानक उनका हिजाब अपने हाथ से हटा दिया।
घटना के अनुसार, मुख्यमंत्री ने नुसरत को नियुक्ति पत्र देते समय उनकी ओर देखा। महिला डॉक्टर ने सीएम की ओर मुस्कुराते हुए देखा, तभी मुख्यमंत्री ने हिजाब की ओर इशारा करते हुए पूछा, "ये क्या है जी?" महिला ने विनम्रता से जवाब दिया, "हिजाब है, सर।" इसके बाद मुख्यमंत्री ने स्वयं अपने हाथ से महिला का हिजाब हटा दिया।
इस घटना के बाद महिला डॉक्टर थोड़ी देर के लिए असहज नजर आई, जबकि आसपास मौजूद लोग हंस पड़े। कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों ने जल्द ही महिला को फिर से नियुक्ति पत्र थमाया और उसे कार्यक्रम से जाने का संकेत दिया। इसके बाद महिला ने कार्यक्रम स्थल छोड़ दिया।
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की तीखी आलोचना की है। उन्हें यह कदम महिला अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से अनुचित बताया गया। आलोचकों का कहना है कि मुख्यमंत्री का यह व्यवहार न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि समाज में महिलाओं की गरिमा को भी प्रभावित करता है।
वहीं, कुछ लोग इसे केवल अनजाने में हुई घटना और सांस्कृतिक भिन्नताओं के कारण हुई हास्यास्पद स्थिति मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना प्रशासनिक और कार्यक्रमिक रूप से असहज हो सकती है, लेकिन इसे व्यक्तिगत हमले या सामाजिक असंवेदनशीलता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
कार्यक्रम में अन्य उपस्थित डॉक्टरों और अधिकारियों ने इस घटना पर कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर बहस शुरू हो गई है। लोग सीएम के इस कदम को लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं। कुछ लोग इसे असंवेदनशील और अनुचित बता रहे हैं, तो कुछ लोग इसे केवल एक सामान्य घटना मानकर भूलने की सलाह दे रहे हैं।
इस घटना ने बिहार में महिला अधिकारों, धार्मिक प्रतीकों और सार्वजनिक पदों पर कार्यरत अधिकारियों के व्यवहार को लेकर नई बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और अधिकारियों को ऐसे आयोजनों में संवेदनशीलता और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए, ताकि किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सम्मान को ठेस न पहुंचे।
इस घटना ने यह भी उजागर किया है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में नेताओं और अधिकारीगण की हर कार्रवाई मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर तीव्र प्रतिक्रिया का कारण बन सकती है। नुसरत परवीन की व्यक्तिगत असहजता और हिजाब को हटाने की घटना ने राज्य में एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक विमर्श शुरू कर दिया है।
अभी तक मुख्यमंत्री कार्यालय या राज्य सरकार की ओर से इस घटना पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। यह देखा जाना बाकी है कि इस घटना के बाद क्या कोई कार्रवाई होती है या समाज में इसे लेकर कोई औपचारिक माफी या स्पष्टीकरण पेश किया जाएगा।

