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Patna  दाखिल-खारिज के मामले 30 जून तक शून्य करने के निर्देश, पिछले 3 महीने में दाखिल-खारिज के मामले 10.30 लाख से घटकर 8.12 लाख हुए
 

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बिहार न्यूज़ डेस्क  राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने 30 जून तक दाखिल-खारिज के लंबित मामलों की संख्या शून्य करने का निर्देश दिया है.  उन्होंने दाखिल-खारिज के लंबित मामलों की जिलावार समीक्षा की. उन्होंने सभी अपर समाहर्ताओं को अपने जिले के अंचलों के साथ जूम पर साप्ताहिक बैठक करने को कहा ताकि लंबित मामलों की संख्या में कमी आए.
उन्होंने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि पिछले 3 महीने में दाखिल-खारिज के लंबित मामलों की संख्या 10.30 लाख से घटकर 8.12 लाख हो गई है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 में पारू अंचल में अबतक मात्र 2.39 फीसदी दाखिल-खारिज मामले निपटाए जाने पर मुजफ्फरपुर के अपर समाहर्ता से कारण पूछा. भोजपुर के संदेश और जहानाबाद के घोसी अंचल में भी इस वित्तीय वर्ष में दाखिल-खारिज के निबटारे की गति बेहद कम पाई गई. शास्त्रत्त्ीनगर स्थित सर्वे सभागार में हुई इस बैठक में विभाग के सचिव जय सिंह, निदेशक, भू अर्जन सुशील कुमार और सभी संयुक्त सचिव के अलावा 38 जिलों के अपर समाहर्ता मौजूद थे. बैठक में अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि अगले 2 माह में राज्य के सभी राजस्व कर्मचारियों को लैपटॉप उपलब्ध करा दिया जाएगा. इससे लंबित वादों की संख्या को कम करने में सहूलियत होगी.
पटना में दाखिल-खारिज के सर्वाधिक मामले लंबित

दाखिल-खारिज की समीक्षा में बिना किसी वाजिब कारण के लंबित मामलों की संख्या सर्वाधिक पटना जिले में पाई गई. बगैर किसी कारण के 19 मई 23 तक जिले में दाखिल-खारिज के 10094 मामले लंबित पाए गए. 4517 संख्या के साथ रोहतास दूसरे स्थान पर जबकि 4281 के साथ मुजफ्फरपुर जिला तीसरे स्थान पर था. सबसे कम 486 लंबित मामले लखीसराय में मिले, जबकि 582 मामले के साथ बांका जिला दूसरे स्थान पर था. पटना जिले के 10094 लंबित मामले में सबसे अधिक आरओ स्तर पर 3080, आम सूचना-खास सूचना के स्तर पर 1022, क्लर्क के स्तर पर 617 और सीओ के स्तर पर 5375 मामले लंबित पाए गए.
21,597 परिवारों को दिसंबर तक मिलेगी जमीन
अभियान बसेरा के तहत पूरे राज्य में वासभूमि रहित परिवारों को दिसंबर तक जमीन उपलब्ध कराने का लक्ष्य विभाग ने तय किया है. इसके लिए सभी अपर समाहर्ताओं को अगले 15 दिनों में जिलावार सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है. इस सूची में पूर्व के सर्वे के बाद बचे हुए लोगों के नाम दर्ज रहेंगे, ताकि जरूरतमंदों की सूची बनाने और उन्हें वास भूमि उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल करने में सहूलियत हो. जानकारी के मुताबिक ऐसे परिवारों की संख्या 21 हजार 597 हैं.राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने पूर्व में ही अपने निर्देश में कहा है कि बंटवारे से या फिर परिवार बढ़ने से जो परिवार वास भूमि विहीन हो गए हैं उन्हें घर बनाने के लिए जमीन उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है. छूटे हुए परिवारों का ताजा सर्वे करने के लिए मोबाइल एप की मदद ली जा रही है.
दोनों प्रकार से जिन वास भूमिहीन परिवारों का पता लगेगा उन्हें 5 डिसमिल तक वास भूमि उपलब्ध कराई जाएगी. ये भूमि यथा संभव भूमिहीन लोगों के गांव में या फिर उसके बिल्कुल पास के गांव में होगी. कोशिश की जाएगी कि भूमिहीनों को समूह में बसाया जाए और सड़क, बिजली, पानी जैसी सामूहिक सुविधाओं का इंतजाम सरकार की तरफ से किया जाए.
राज्य में अतिक्रमण के अब भी 2416 मामले लंबित
अतिक्रमण के मामलों की जिलावार समीक्षा में पाया गया कि पूरे राज्य में कुल 6972 अतिक्रमण के मामले विभाग के संज्ञान में हैं. इनमें 4556 मामले का निबटारा कर दिया गया है. इसके लिए कुल 4316 अतिक्रमण हटाए गए हैं. किन्तु अब भी 2416 मामले लंबित हैं. इसमें सर्वाधिक 315 मामले नालंदा जिले से संबंधित हैं. अपर मुख्य सचिव ने अतिक्रमण के मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया.


पटना  न्यूज़ डेस्क
 

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