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Patna  सर्वे सूबे में समझ कर तेज गति से पढ़ने वाले बच्चे 60 से अधिक, कक्षा तीन से आठवीं तक के 80 हजार 765 छात्र छात्राओं पर हुआ अध्ययन
 

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बिहार न्यूज़ डेस्क समझ कर तेज गति से पढ़ने (रीडिंग) वाले बच्चों की संख्या सूबे में 60 फीसदी से अधिक है कक्षा तीन से आठवीं तक के निजी और सरकारी स्कूल के बच्चों में यह बदलाव कोरोना काल के बाद आया है इन कक्षाओं के बच्चे बिना रुकावट के कोई भी चैप्टर आराम से पढ़ सकते हैं एनसीईआरटी के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है

कोरोना काल के बाद दिसंबर, 2021 से फरवरी,2023 तक अध्ययन किया गया इसमें सूबे के 5789 निजी व 20876 सरकारी स्कूलों के कक्षा तीन से आठवीं तक के 80 हजार 765 बच्चे शामिल हुए
दिसंबर, 2021 में जब स्कूल खुला तो मात्र दस से 12 बच्चे ही किसी चैप्टर को पढ़ पा रहे थे किसी कक्षा के 50 बच्चे ऐसे नहीं थे जो कोई भी चैप्टर ठीक से पढ़ सकते थे पढ़ने के क्रम में वो बार-बार रुकते थे अक्षर या शब्द को पहचानने में अटकते थे जब इन्हीं बच्चों के ऊपर जनवरी- फरवरी 2023 में अध्ययन हुआ तो पाया गया कि काफी बदलाव आया है इसमें 60 से अधिक बच्चे अब आराम से चैप्टर पढ़ सकते हैं
सीबीएसई ने शुरू की रीडिंग कक्षाएं बच्चों में पढ़ने की आदत लगे और चैप्टर अच्छे से पढ़ सकें, इसके लिए सीबीएसई ने रीडिंग हैविट क्लास शुरू किया एक बच्चे को पांच से दस मिनट देकर चैप्टर पढ़ने को कहा गया इसके बाद स्कूल स्तर पर प्रतियोगिता हुई इसका फायदा हुआ कि बच्चों में रीडिंग की आदत विकसित होने लगी बता दें कि कोरोना काल में बच्चे ऑनलाइन कक्षाएं करते थे शिक्षक ने जो पढ़ाया उसे रटने की आदत हो गयी थी इसका असर बच्चों के पढ़ने और लिखने पर पड़ा और रीडिंग की आदत कम हो गई थी
कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षा से छात्रों में पढ़ाई के प्रति रुचि खत्म हो गयी थी बच्चे जोर-जोर से पढ़ना भूल गये थे लेकिन कोरोना बाद स्कूलों में इसकी आदत दिलवाई गयी अब बच्चे तेजी से एक लय में किसी भी चैप्टर की रीडिंग लगा सकते हैं
-प्रमोद कुमार, काउंसलर, एनसीईआरटी


पटना  न्यूज़ डेस्क

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