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Patna  की हवा को खराब कर रही है गंगा की धूल

Thane की हवा संतोषजनक, वायु गुणवत्ता सूचकांक 65 से 85 के बीच

बिहार न्यूज़ डेस्क  पटना में हवा में प्रदूषण का बड़ा व स्थायी कारण गंगा की मिट्टी बन रही है. दूर जाती गंगा के कारण किनारे रेत और मिटी जमा हो गए हैं. इन मिट्टी और रेत के टीले में नदी द्वारा अपरदित बेहद सूक्ष्म धूलकण भी शामिल होते हैं. ये धूलकण हवा के साथ उड़कर शहर की हवा को खराब कर रही है.

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरणविदों द्वारा किए गए संयुक्त अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकला है. मॉनसून और बारिश के मौसम के तीन से चार माह को छोड़कर ये धूलकण साल में आठ से नौ महीने वायु प्रदूषण का कारण बन रहे हैं. पटना की हवा  को भी खराब श्रेणी में रहा. एक तरफ भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं तो वहीं दूसरी ओर शहर की हवा में धूलकण के कारण लोगों की परेशानी बरकरार है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा जारी आकड़ों के आधार पर पटना में वायु प्रदूषण का मुख्य सीजन अक्टूबर से जनवरी महीना या ठंडा का मौसम माना जाता है लेकिन भीषण गर्मी में भी वायु की गुणवत्ता में सुधार नहीं है. पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना हैं कि अन्य कारणों में से एक कारण शहर से गंगा नदी का दूर जाना है और यह कारण अब स्थायी हो गया है. दीघा से लेकर गांधी घाट तक गंगा नदी का पानी डेढ़ किमी दूर जा चुकी है. कलेक्ट्रेट घाट से गंगा सबसे अधिक दूर जा चुकी है. जिसका असर पटना के वायु गुणवत्ता सूचकांक पर भी पड़ रहा है.  को गांधी मैदान क्षेत्र का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 पहुंच गया जो गंभीर श्रेणी का है. गंगा नदी की मिट्टी सबसे हल्की मिट्टी होती है. लू चलने पर यह मिट्टी शहर की ओर चली आती है. जिससे पटना का वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में पहुंच गया है.

जून तक वायु प्रदूषण से राहत मिलने वाला नहीं

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि पटना की मौजूदा भौगोलिक स्थिति के कारण वायु गुणवत्ता हमेशा प्रभावित होती रहेगी. जून महीने तक वायु प्रदूषण से राहत नहीं मिलने वाला है. मानसून आने के बाद ही वायु प्रदूषण से राहत मिलेगी. मानसून के दौरान गंगा में जलस्तर बढ़ने से शहर के किनारे घाटों तक गंगा का पानी पहुंच जाता है.

 

 

पटना  न्यूज़ डेस्क

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