Patna इमरजेंसी वार्डों में बेड कम गंभीर मरीज लौटाए जा रहे,एम्स, आईजीआईएमएस, पीएमसीएच की इमरजेंसी में भर्ती होना मुश्किल
बिहार न्यूज़ डेस्क पीएमसीएच, आईजीआईएमएस और पटना एम्स के इमरजेंसी के बाहर मरीजों को भर्ती होने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. बावजूद इसके उन्हें इमरजेंसी में जगह नहीं मिल पा रही है.
पीएमसीएच में कुछ घंटे इंतजार के बाद स्ट्रेचर आदि पर लिटा कर इलाज तो शुरू हो जा रहा है लेकिन आईजीआईएमएस और एम्स से गंभीर मरीजों को भी बिना इलाज के लौटाया जा रहा है. यह किसी एक दिन की घटना नहीं है. इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस में घंटों इंतजार करते मरीज प्रतिदिन दिखते हैं.
बेड की कमी बताकर ऐसे गंभीर मरीजों को भर्ती लेने से इंकार किया जाता है और उन्हें दूसरे अस्पतालों में जाने की सलाह दी जाती है. आईजीआईएमएस मेडिकल इमरजेंसी में 80 से 85 बेड हैं. एम्स के इमरजेंसी प्रभारी डॉ. दिवेंदु भूषण ने बताया कि उनके यहां 30 बेड है. मरीजों को लौटाने की समस्या पिछले दो सालों से है. एम्स के अन्य विभागों ट्रॉमा में 15, आईपीडी में 15 के अलावा अन्य विभागों में भी इमरजेंसी के 10 से ज्यादा बेड हैं. वहीं पीएमसीएच के मेडिकल इमरजेंसी में भी लगभग 57 बेड हैं. मौसम में बदलाव के साथ ही ब्रेन हैमरेज, सांस की परेशानी, सीने में जकड़न और हर्ट अटैक से पीड़ितों की संख्या काफी बढ़ गई है. पहले ऐसे गंभीर मरीज पीएमसीएच में प्रतिदिन आठ से 10, आईजीआईएमएस और एम्स में 15 से 20 आते थे. लेकिन अब पीएमसीएच में प्रतिदिन 20 से 25 नए मरीज इमरजेंसी में पहुंचते हैं.
वहीं आईजीआईएमएस और एम्स में भी कई 30 से 40 मरीज रोज भर्ती होने के लिए आते हैं. लेकिन बेड की सीमित संख्या के कारण ऐसे गंभीर मरीजों के लिए भी जगह नहीं मिल पा रही है.
पीएमसीएच एक एंबुलेंस पड़ी है खराब
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर ने बताया कि एक ओर बेड की कमी पड़ रही है, दूसरी और मरीजों को ट्रांसफर करने में भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इमरजेंसी से वार्ड में ट्रांसफर के लिए पीएमसीएच में दो एंबुलेंस है. उनमें से एक खराब पड़ी है. निर्माण कार्य के कारण बीच का रास्ता बंद है. मरीज को ट्रांसफर करने के लिए लगभग सात किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. यही कारण है कि नए मरीजों को बेड के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ता है.
पटना न्यूज़ डेस्क