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Patna  में देसी कट्टा बना अपराधियों की पसंद, कट्टा से चली गोली पिस्टल से ज्यादा खतरनाक
 

Patna  में देसी कट्टा बना अपराधियों की पसंद, कट्टा से चली गोली पिस्टल से ज्यादा खतरनाक

बिहार न्यूज़ डेस्क अपराधियों की पहली पसंद देसी कट्टा बन गया है. राजधानी में होने वाली ज्यादातर वारदातों को अपराधी कट्टे से अंजाम दे रहे हैं. आठ माह में पटना पुलिस ने अपराधियों के पास से काफी संख्या में देसी कट्टे बरामद हुए हैं. कट्टों की तुलना में देसी पिस्टल की बरामदगी काफी कम है. जनवरी से अगस्त तक कुल 319 हथियार मिले हैं, जिनमें 187 कट्टे व 106 पिस्टल हैं. अप्रैल को छोड़कर बाकी सभी महीने में पिस्टल के अनुपात में कट्टा अधिक मिला है. रिटायर डीएसपी गौरीशंकर सिंह ने बताया कि पिस्टल की तुलना में कट्टा ज्यादा खतरनाक होता है. पिस्टल में चैंबर होता है, जबकि देसी कट्टा में चैंबर नहीं होता. कट्टा में 315 बोर की गोली लगती है जो पिस्टल व रिवॉल्वर की गोली से ज्यादा मारक होती है.

मुंगेर में बनता है देसी कट्टा ज्यादातर देसी कट्टे मुंगेर में बनते हैं. हथियार तस्कर पटना तक इसकी डिलीवरी करते हैं. 15 सौ से लेकर सात हजारमें देसी कट्टा मिल जाते हैं. ज्यादा दाम वाले कट्टा की क्षमता अधिक होती है. जबकि कम दाम वाला कट्टा हाथ में भी फट जाता है. यह ऐसा हथियार है जो आसानी से अपराधियों तक पहुंच जाता है. यह भी एक कारण है कि अपराधी इसका इस्तेमाल आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में करते हैं. वहीं पिस्टल की कीमत 30 से 32 हजार रुपये होती है.


पटना  न्यूज़ डेस्क
 

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