बिहार न्यूज़ डेस्क जमीन की खरीद- बिक्री से जिले के निबंधन विभाग को चार माह में 65 करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई. इस साल विभाग को 125 करोड़ राजस्व संग्रह करने का लक्ष्य दिया गया है.
नालंदा के तीन निबंधन कार्यालयों में से सबसे अधिक बिहारशरीफ कार्यालय को 19 मई से लेकर नौ तक 7735 जमीन की खरीद-बिक्री हुई है. इससे 33 करोड़ 49 लाख एक हजार 639 रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई है. इसी तरह, दूसरे नंबर पर राजगीर निबंधन कार्यालय है. इस अवधि में 4,003 जमीन के निबंधन से 16 करोड़ दो लाख 23 हजार 694 रुपये राजस्व मिला है. जबकि, हिलसा निबंधन कार्यालय को 5,810 जमीन निबंधन से 14 करोड़ 74 लाख 43 हजार 239 रुपए राजस्व की प्राप्ति हुई है. बताया जाता है कि साल की शुरुआत के चार माह दो फरवरी से लेकर 18 मई तक महज 29 करोड़ रुपये ही राजस्व की प्राप्ति हुई थी.
नियम में बदलाव से खरीद-बिक्री में तेजी शुरुआत के चार माह में जमीन निबंधन से कम राजस्व की प्राप्ति हुई थी. इसका मुख्य कारण जमीनधारक (जिसके नाम से जमाबंदी कायम है) ही जमीन बेच सकते थे. निबंधन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस नियम के कारण जमीन निबंधन का कार्य काफी कम हो गया था. 19 मई से नियम में बदलाव के बाद निबंधन के कार्यो में पुन तेजी आयी है.
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला दस्तावनीस संघ के अध्यक्ष चंद्रभूषण प्रसाद का कहना है कि जमाबंदी धारक ही जमीन की बिक्री करेंगे, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है. 29 को सुनवाई है. फैसले में अगर जिनके नाम से जमाबंदी है, उसी को बेचने का अधिकार दिया जाता है तो जमीन निबंधन कार्य फिर से प्रभावित हो सकता है. हालांकि, यह नियम अच्छा है. इससे जमीन से संबंधित झगड़ों में कमी आयेंगी. लेकिन, जमाबंदी कायम करने के कार्यो में अंचल कार्यालयों को तेजी लाना होगा.
पटना न्यूज़ डेस्क