Samachar Nama
×

Noida  माटी की पारंपरिक कला को जीवंत कर रोजगार भी दे रहे युवा

Dehradun भारतीय चिकित्सा परिषद पहली बार लगाएगी आयुष रोजगार मेला, प्रशिक्षित युवाओं को मिलेगा नौकरी का मौका
 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  पारंपरिक कला से सजावटी सामान बनाकर जिले के कई युवा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को रोजगार दे रहे हैं. साथ ही पारंपरिक कला को जीवंत कर भारतीय संस्कृति को बचाने में जुटे हैं.
ये माटी कला योजना के अंतर्गत लोन लेकर लोग बर्तन, मूर्तियों समेत विभिन्न प्रकार के सामान बनाकर लोगों का ध्यान भी अपनी ओर खींच रहे हैं. खासतौर पर गांवों में पूरा सेटअप तैयार कर पारंपरिक कला को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया जा रहा है. इस योजना के तहत दर्जनों लोगों ने अपना कारोबार शुरू किया है. इसके बल पर कई लोग अपनी किस्मत चमका चुके हैं.


हर माह 70 से 80 हजार कमा रहे नवल सिंह दनकौर के ठसराना गांव निवासी नवल सिंह ने वर्ष  में माटी कला से जुड़ा अपना कारोबार शुरू किया था.
उन्होंने ग्रामोउद्योग विभाग की माटी कला योजना के अंतर्गत सात लाख रुपये का लोन लिया और गांव में अपनी जमीन पर ही मिट्टी के बर्तन बनाने वाला सेटअप तैयार किया. वह मिट्टी के कुल्हड़, कटोरी, लस्सी के गिलास, करवा, घड़े इत्यादि बर्तन बनाते हैं और नोएडा ग्रेनो समेत एनसीआर में सप्लाई करते हैं. नवल सिंह ने बताया कि सरकारी योजना के माध्यम से लाभ लेकर उन्होंने अपने कारोबार को विस्तार दिया. उन्होंने गांव के ही चार लोगों को रोजगार दिया है, वह प्रतिमाह 70 से 80 हजार रुपये कमाते हैं.
कला को बढ़ावा दे रही तीसरी पीढ़ी दादरी के घोड़ी बछैड़ा गांव निवासी टीटू ने बताया कि माटी कला उनका पुस्तैनी कारोबार है. वह तीसरी पीढ़ी है, जो इस कारोबार को विस्तार देने में जुटी है. उन्होंने सरकारी योजना का लाभ तो नहीं लिया, लेकिन वह अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए ग्रामोउद्योग से जुड़े रहते हैं. वह मिट्टी के दीये, घोड़े, हाथी समेत विभिन्न भगवानों की मूर्तियां, बर्तन, बोतल, घड़े, गमले समेत कई अन्य प्रकार की चीजों का निर्माण करते हैं. वह सालाना सात से आठ लाख रुपए इस कारोबार से कमा रहे हैं. उन्होंने पांच लोगों को बर्तन व मूर्तियां तैयार करने के लिए रोजगार दिया है. वह भंगेल समेत एनसीआर में माल सप्लाई करते हैं.


नोएडा न्यूज़ डेस्क
 

Share this story