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Noida  ट्विन टावर मामले के बाद प्राधिकरण पर सुप्रीम कोर्ट की फिर टिप्पणी
 

Haridwar जिला पंचायत अध्यक्ष की जांच की अंतिम रिपोर्ट पर कोर्ट में कोई आपत्ति स्वीकार नहीं की गई  उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के खिलाफ की गई जांच की अंतिम रिपोर्ट पर अनापत्ति स्वीकार कर ली है। इस संबंध में पुलिस ने अंतिम जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. बिजल्वाण ने कहा कि राजनीतिक द्वेष के कारण उनके खिलाफ जो मुकदमा दर्ज कराया गया था, अब पुलिस जांच में सभी आरोप खारिज हो गये हैं.  इस मामले में कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर वादी ने भी अपनी अनापत्ति दर्ज करायी. वर्ष 2022 में कुछ जिला पंचायत सदस्यों ने जिला पंचायत उत्तरकाशी में सरकारी धन के दुरुपयोग की शिकायत की थी। जिस पर शासन की ओर से जांच के निर्देश दिए गए थे। जिस पर कोतवाली पुलिस ने जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।  जनवरी 2023 में एक विशेष टीम बनाई गई और जांच शुरू की गई. पुलिस की विशेष टीम ने 16 बिंदुओं पर जांच की. करीब सात महीने की जांच के बाद पुलिस ने अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल की. इसमें सभी बिंदुओं पर जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एचसी जोशी ने बताया कि कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट पर अनापत्ति स्वीकार कर ली है।  हरिद्वार न्यूज़ डेस्क !!!


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   सुपरटेक के ट्विन टावर मामले के बाद मुआवजा वितरण फर्जीवाड़े में सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण पर फिर तल्ख टिप्पणी की. इससे प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में आ गई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत नहीं दी मुआवजा वितरण फर्जीवाड़ा मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता पीएन मिश्रा याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हाज़िर हुए. वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार और एएजी अर्धेंदुमौली कुमार प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए. मामले में याचिकाकर्ता ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(ए) के तहत अपराध के लिए अग्रिम जमानत की मांग की. उच्च न्यायालय ने 16 जनवरी, 2023 के आक्षेपित आदेश में सीआरपीसी की धारा 438 के तहत आवेदन को खारिज करते हुए कहा था, ‘‘उक्त तथ्य को देखते हुए, आरोपी आवेदक ने 7,26,80,427 रुपये के बड़े मुआवजे की सिफारिश की.


आरोपी आवेदक ने गलत आधार पर कहा कि मुआवजा देने की अपील उच्च न्यायालय में लंबित थी. इस न्यायालय ने पाया कि आरोपी आवेदक द्वारा किए गए अपराध के लिए उसे अग्रिम जमानत देने की आवश्यकता नहीं है. आरोपी आवेदक ने कथित तौर पर नोएडा प्राधिकरण को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया है और खुद को और उक्त भूमि मालिक को गलत लाभ पहुंचाया है.’’
हाईकोर्ट ने गहन जांच का आदेश दिया था हाईकोर्ट की पीठ की राय थी कि मामले में गहन जांच और सच्चाई का पता लगाने के लिए किसी स्वतंत्र एजेंसी को संदर्भित करना आवश्यक है. लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोई जांच नहीं करवाने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी ज़ाहिर की. इस पर उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा है. अब पीठ ने मामले को 5 अक्तूबर, 2023 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस पूरे मामले की जांच किस एजेंसी से करवाई जाए.


नोएडा न्यूज़ डेस्क
 

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