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Noida  पुलिस के प्रयास से 300 बच्चों ने भीख मांगनी छोड़ी

3- भीख मांगने की जॉब दुबई में भिखारयों की मंथली इनकम 50 लाख रुपए के आसपास है। यही वजह है कि दुबई के कुछ भिखारी गैंग भीख मांगने वालों को मोटी सैलरी देकर नौकरी पर रखते हैं।

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  कमिश्नरेट पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बीते 14 महीने में 283 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है. इनसे काम कराने वाले व्यक्तियों को नोटिस देकर कार्रवाई की चेतावनी दी है. बच्चों के बेहतरी के लिए कई अन्य अभियान भी चलाए जा रहे हैं. इसके कारण करीब 300 बच्चों ने भिक्षावृत्ति भी छोड़ी.

एडिशनल डीसीपी महिला सुरक्षा प्रीति यादव ने बताया कि 23 में जिन 283 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है. इनमें 4 बच्चे मैकेनिक, हेल्पर या मजदूरी का काम करते मिले थे. 30 बाल श्रमिक होटल, ढाबे और स्वीट कॉर्नर पर काम करते मिले. जबकि सात बाल श्रमिक घरों में काम कर रहे थे. इन सभी बच्चों की काउंसलिंग की गई. उनके परिजनों से बात की गई और बाल श्रम के खामियों के बारे में उन्हें बताया गया.

सरकार द्वारा बाल श्रम रोकने के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी भी बाल श्रमिकों और उनके परिजनों को दी गई, ताकि बच्चे उनका लाभ लेकर समाज की मुख्य धारा में लौट सकें.

अच्छी बात रही कि इन 14 महीनों में अनैतिक देह व्यापार में लिप्त कोई बालक या बालिका नहीं मिली. एसीपी महिला सुरक्षा सौम्या सिंह ने बताया कि अलग-अलग चौक और चौराहों पर भिक्षा मांगने वाले बालक और बालिकाओं की बेहतरी के लिए भी कमिश्नरेट पुलिस की ओर से अभियान चलाया गया.

बीते 14 महीने में भिक्षावृत्ति में शामिल 300 बच्चों को परिजनों के सुपुर्द किया गया. 23 में 147 बालिकाओं और 133 बालकों को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाई गई. चौक-चौराहों पर भिक्षावृत्ति करने वालों में बालिकाओं की संख्या बालकों से अधिक रही. वहीं 24 में 29 फरवरी तक कुल  बालक और बालिकाओं ने भिक्षावृत्ति से किनारा किया. इसमें सात बालिकाएं और 13 बालक शामिल हैं. बालकों को सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले अनुदान की भी जानकारी दी गई.

 

 

नोएडा न्यूज़ डेस्क

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