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Noida  जिले में 15 हजार और महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन सकेंगी

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उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अब तक  हजार से अधिक महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं. अंतरिम बजट में पूरे देश में अब तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य निर्धरित किया गया है. इससे जिले की शेष 15 हजार महिलाओं की राह आसान हो गई है.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले में 1709 स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं. इनमें करीब 17 हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इसमें  हजार से अधिक महिलाएं ऐसे भी हैं, जो न सिर्फ अपना घर संभाल रही हैं, बल्कि अन्य सैकड़ों महिला और पुरुषों को रोजगार भी दे रही हैं. इनके काम अब कंपनी का रूप ले चुके हैं. मिशन के आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब  हजार महिलाएं खुद का काम शुरू कर लखपति बन चुकी है. मिशन प्रत्येक समूह का ठीक संचालन होने पर तीन माह बाद 15 हजार और छह माह बाद 1.1 लाख रुपये का अनुदान देता है. मिशन ने  हजार से अधिक कामकाजी समूहों की विभिन्न बैंकों में कैश क्रेडिट लिमिट भी बनवाई है. मिशन का मकसद महिलाओं की प्रतिवर्ष आय  लाख रुपये से अधिक कराकर इन्हें लखपति दीदी का खिताब दिलाना है.
चिटहेड़ा की सीमा देवी ने खाने को बनाया कमाई का जरिया


दादरी के चिटहेड़ा गांव निवासी सीमा देवी सरकारी अस्पताल में प्रेरणा कैंटीन चला रही हैं. सीमा ने 50 हजार रुपये का लोन लेकर कैंटीन शुरू की. वे मरीजों के तीमारदारों और कर्मियों को शुद्ध भोजन मुहैया करा रही है. सीमा बताती हैं कि वे प्रतिदिन  हजार रुपये लेती हैं. उन्होंने हाल ही में  कैंटीन गांव में भी शुरू की है. वे लोगों के घरों तक खाने की डिलीवर भी करती हैं.
पूजा देवी ने आर्टिफिशियल ज्वेलरी में तलाशा कारोबार का मौका
दादरी के कोट गांव निवासी पूजा देवी ने बताया कि 1.25 लाख रुपये का लोन लेकर उन्होंने गांव में आर्टिफिशियल ज्वेलरी का काम शुरू किया. वे कंगन, ब्रेसलेट, पायल, गले का हार, इयर रिंग, चूड़ी आदि तैयार करती हैं. वे मेलों व कॉलेजों में स्टॉल भी लगाती है. पूजा बताती है कि कॉलेजों में स्टॉल लगाकर वह दिन का पांच हजार और दुकान से  हजार रुपये प्रतिदिन कमा लेती है.
सेनेटरी पैड का कारोबार शुरू करअपने पैरों पर खड़ी हुईं सरस्वती
दादरी के बड़पुरा गांव निवासी सरस्वती ने बताया कि वे 2019 में समूह में शामिल हुई थी. उन्होंने मिशन के तहत लोन लेकर कनिष्का सेनेटरी पैड नाम से अपना कारोबार शुरू किया. गांव में जब उन्होंने यह कार्य शुरू किया तो काफी लोगों ने उनका मजाक बनाया, लेकिन वे मेहनत से अपना कार्य करती रहीं. आज वे सेनेटरी पैड बेचकर महीने का 25 हजार और साल का करीब पौने चार लाख रुपये कमा रही हैं. उनके ऑर्डर पंजाब, बनारस, कानुपर समेत विभिन्न जिलों व राज्यों में जाते हैं. उन्होंने अचार का कारोबार भी शुरू किया है. इसमें उन्होंने समूह की चार महिलाओं को रोजगार दिया है.


नोएडा न्यूज़ डेस्क
 

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