Nalnda पिछात गेहूं फसल का विकास प्रभावित, बालियां छोटी तो दाने भी लगे कम, मौसम के दोहरे चरित्र से नालंदा के धरती पुत्र कराह उठे हैं

बिहार न्यूज़ डेस्क खरीफ की खेती बारिश कम होने से प्रभावित हुई तो रबी की खेती पर चढ़ते पारे की मार पड़ी. मौसम के दोहरे चरित्र से नालंदा के धरती पुत्र कराह उठे हैं. तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि से खासकर गेहूं की पिछात फसल पर प्रतिकुल असर पड़ा है. बालियों का विकास कम हुआ है. दाने भी पुष्ट नहीं हो सके हैं. चिंता यह भी कि चढ़ते पारा की रफ्तार ऐसी ही रही तो समय से पहले बालियां पक जाएंगी. ऐसे में 18 से 20 फीसद तक उपज प्रभावित होनी तय है. थोड़ी राहत यह कि गेहूं की अगात फसल अच्छी है.
इसबार जिले में एक लाख 30 हजार हेक्टेयर में रबी की खेती की गयी है. सबसे ज्यादा गेहूं की खेती हुई है. धान की देर से कटाई और मिट्टी में नमी के अभाव के कारण रबी की खेती पिछड़ गयी. बुआई काफी देर से हुई. सरदार बिगहा के किसान धनंजय कुमार, चंडी के अनिल कुमार, अस्थावां के प्रेमरंजन कहते हैं कि इसबार फसलों में दाने लगने के समय ही गर्मी के कारण कहर बरपा. तापमान बढ़ने से मिट्टी में नमी बरकरार रखने में काफी फजीहत उठानी पड़ी. अमूमन गेहूं की दो बार से तीन बार पटवन करना पड़ता है. लेकिन, इसबार चार बार सिंचाई करने के बाद भी पिछात फसल में रौनक व विकास उतना नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था. चिंता यह भी कि चढ़ते पारा की रफ्तार ऐसी ही रही तो समय से पहले बालियां पक जाएंगी. थोड़ी राहत यह कि गेहूं की अगात फसल अच्छी है. इससे थेड़ी राहत है.
फसलों के तैयार होने का समय
गेह 110 से 125 दिन
मसूर 115 से 120 दिन
सरसों 90 से 100 दिन
चना 105 से 110 दिन
मौसम ने लुटिया डिबोई
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जिला तकनीकी प्रबंधक धनंजय कुमार का कहना है कि गेहूं की अच्छी उपज के लिए 125 दिन तक अनुकूल तापमान रहना चाहिए. परंतु, इसबार 60 से 65 दिन ही पिछात गेहूं को मौसम का साथ मिला. बालियां लगने और गब्बे में दाने होने के समय में ही तापमान 18 डिग्री से पार हो गया. नतीजा, बालियों के साथ दाने भी छोटे हो गये. बेहतर पैदावार के लिए गब्बे लगने के समय पर 10 से 11 डिग्री, पौधों के बढ़वार के लिए 18 से 25 तो पकने के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान को आइडियल माना गया है.
मौसम के पूर्वानुमान से किसान में तनाव
मौसम की मार से जूझ रहे धरती पुत्रों की टेंशन मौसम पूर्वानुमान ने बढ़ा दी है. पूर्वानुमान में कहा जा रहा है कि ओलावृष्टि हो सकती है. ऐसे में किसानों की चितां यह कि आसमान से बर्फ के गोले गिरेंगे तो तैयार गेहूं की फसलों को व्यापक नुकसान हो सकता है. अभी जिले में गेहूं की कटनी शुरू नहीं हुई है. कम से कम दस दिन और लगेंगे.
अब प्रकृति के भरोसे है किसान की किस्मत
गेहूं की खेती करने वाले किसान अब पूरी तरह से प्रकृति के भरोसे हैं. फसल तैयार हो चुकी है. अब पकने का इंतजार है. किसानों का कहना है कि तापमान जितना देर से चढ़ेगा, उतना ही फसल को फायदा होगा. साथ ही गर्म पछुआ हवा के झोंके अगर 20 से 25 दिन बाद फसलों पर पड़ती है तो पैदावार अच्छे मिलने की उम्मीद है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी फिर जाएगा.
नालंदा न्यूज़ डेस्क