Samachar Nama
×

Nalnda इमादपुर छठ घाट पर गंदगी के कारण पानी का रंग हो चुका है काला

Chapra  करिवा बाबा मंदिर घाट सबसे खतरनाक : सरयू नदी में पानी अधिक होने से घाट संकरा, सावधानी बरतनी है
 

बिहार न्यूज़ डेस्क शहर के इमादपुर छठ घाट की स्थिति ठीक नहीं है. यह काफी बदहाल है. यहां सीधे शहर से निकलने वाला गंदा पानी सालों जमा रहता है. इससे घाट पर चारों तरफ गंदगी का अम्बार लगा हुआ है. काले हो चुके पानी से बदबू निकल रही है. आसपास के पानी में जलकुंभियों ने डेरा जमा रखा है. सतह पर डेढ़ से ढाई फीट पांका (किचड़) जमा है. घाट के किनारे चारों तरफ घास-फूस उग आये हैं. ऐसे में व्रती इस घाट पर भगवान भास्कर को कैसे अर्घ्य देंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है. आसपास के गांव समेत आठ मोहल्ले के पांच हजार से अधिक लोग अर्घ्य देने आते हैं. पंचाने नदी की शाखा के तट पर स्थिति इमादपुर घाट शहर के सबसे पुराने छठ घाटों में से  है.

पहले बरसात के दिनों में पानी के तेज बहाव के कारण इसकी स्थिति ठीक थी. इमादपुर के मनोज कुमार, सुरेन्द्र प्रसाद व अन्य ने बताया कि धीरे-धीरे अतिक्रमण के कारण शाखा का मुंह बंद हो गया है. फिलहाल शहर के मछली मंडली से होकर गुजरे नाले का पानी इसी घाट से होते हुए आगे पतुआना रेलवे लाइन की ओर जाता है. पूरे शहर की गंदगी नाले से होते हुए यहां आकर जमा होती है.  छोटे से पुल के सहारे पूरी गंदगी का बहाव नहीं हो पाता है. छठ के दिनों में कर्मी व स्थानीय लोग   दिनों के लिए भले ही इसे स्वच्छ रखने का प्रयास करते हैं. लेकिन, यह नाकाफी है. प्रयास के बावजूद व्रती इस दलदली घाट पर ही अर्घ्य देने को मजबूर हैं. हालांकि, हाल के दिनों में उत्तर तरफ सीढ़ी घाट बनने से व्रतियों को थोड़ी राहत अवश्य मिलेगी.
घाट के अस्तित्व पर खतरा
उपेक्षा के कारण इस घाट का अस्तित्व आज खतरे में है. हर साल छठ के मौके पर निगम के कर्मियों द्वारा घाट की सफाई तो कर दी जाती है, लेकिन गंदगी से बजबजाते पानी को बदला नहीं जाता है. अगर जल्द ही शहर के नाले से होकर घाट तक पहुंचने वाली गंदगी पर रोक नहीं लगायी गयी, तो वह दिन दूर नहीं जब लोग इस घाट को भूल जाएंगे. नईसराय के मोहन कुमार, संतोष सिंह, साधुशरण प्रसाद व अन्य बताते हैं कि घाट के पास बांध बनाकर नाले के पानी को वहां तक जाने से रोका जाए. साथ ही गंदगी को निकालकर वहां स्वच्छ पानी भरा जाए.
गंदे पानी में स्नान करने पर खुजली होने का डर
लोगों का कहना है कि इस घाट का पानी इतना गंदा है कि स्नान करने पर खुजली होने का डर बना रहता है. बदन से बदबू निकलती है सो अलग. धीरे-धीरे यहां आने वाले छठव्रतियों की संख्या में भी कमी आयी है. इस इलाके के लोग भी अब मोरा तालाब व शहर के अन्य घाटों पर अर्घ्य देने जाते हैं.
सफाई में जुटे हैं कर्मी
इमादपुर छठ घाट की सफाई में निगम के कर्मी गत पांच दिनों से जुटे हुए हैं. आधा घाट को घेरकर  मशीनों से गाद को निकाला जा रहा है. इसके बाद जमीन को सुखाकर ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव किया जाएगा. तब इसमें बोरिंग से पानी भरा जाएगा. लगभग 40 मजदूर रोज इस घाट की सफाई में लगे हुए हैं. उम्मीद है दीपावली तक इस छठ घाट को चकाचक कर दिया जाएगा.

नालंदा  न्यूज़ डेस्क
 

Share this story